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Saturday, 31 January 2015
दीपक जैसी रौशनी बिखेरो।
आंधिया चलती रही, दिये को बुझाती रही,
इस अंधड़ तूफ़ान में भी एक दिया जलता रहा,
थपेड़े सहता रहा पर बुझा नहीं,
जिंदगी भी इसी तरह थपेड़े देती है,
कुछ बुझ जाते है और कुछ और जोश में आ जाते है,
दीपक जब तक जलता है प्रकाश देता है,
बाद में घूरे पर फेंक दिया जाता है।
बुझने से ज्यादा जलने में सार्थकता है,
कम से कम अपने चारो ओर प्रकाश तो फैला ही गया।
अपनी जिंदगी तो सार्थक कर गया।
स्वयं जला पर दूसरों का अंधेरा दूर कर गया
अमावस की रात को भी उजाला कर गया
जलने में ही जीवन की सार्थकता समझी
जलाने में नहीं
जीवन का महत्तव समझा गया
Wednesday, 28 January 2015
सड़क वही की वही लेकिन गाड़ियों का इजाफा दो दूनी चार की गति से।
ट्रैफिक जाम, चारो ओर सड़क पर हॉर्न और पौ - पौ की आवाज़,
एक सेकंड गाड़ी थमी नहीं की इतना शोर की कानों के परदे फट जाए,
क्या लोगों के पास धैर्य नहीं है इंतज़ार करने का या फिर गाड़ियाँ, मोटर - कारें इतनी ज्यादा हो गयी है कि सड़क ही छोटी पड़ गई है।
पहले मुहल्ले में कोई एकाध - पैसेवाले के घर गाड़ी होती थी,
आज आलम यह है की हर घर में, हर व्यक्ति के पास गाड़ी है चाहे वह लोन पर ही क्या न हो।
गाड़ी की जरूरत हो या न हो लेकिन गाड़ी एक स्टेटस सिंबल बन गई है।
प्रदुषण की तो खैर बात ही छोड़ो।
वह भी एक समय जल्द ही आएगा की गाड़ी एक के ऊपर एक जमीन के ऊपर लहराएगी।
Tuesday, 27 January 2015
Sunday, 25 January 2015
Saturday, 24 January 2015
काश कोई लौटा दे मेरा मासूम बचपन
बार बार आती है बचपन की मधुर याद,भोला भाला मंन,सरल,निष्पाप ह्रदय
जीवन की कठिन राहो पर कही खो गया बचपन
इस व्याकुल,अशांत जीवन में बचपन आज लौटकर
दे दे अपने निर्मल शान्ति,व्यथा मिटा दे
क्या हुआ मेरा बचपन तू फिर लौटकर आएगा और हरेगा मेरे मंन का संसार
माँ का प्यार,पिता का दुलार,सर पर स्नेह की छाव
खिलखिलाती और भोली-भली बच्ची
दुनिया से बेखबर और ग़मों से दूर
काश कोई लौटा दे मेरा वो मासूम बचपन ।
टेलीविज़न सीरियल की भूत और आत्मा !!!
आजकल सीरियल चलने के लिए भूतो सहारा लिया जा रहा है
कभी किसी का भूत किसी में आजाता है और वो आत्मारुपी भूत
कभी बोतल में बंद किया जाता है तो कभी झाड़-फूक वाले को बुलाकर उसका सामाधान किया जाता है
सीरियल को आगे बढ़ने के लिए बिना सर पैर की बात डाल दिया जाता है
शायद एक दिन ऐसा भी आएगा की असली आत्माएं इन सीरियलों में एक्टिंग करने लगेगी
सीरियल में जान डालने के लिए भूत और आत्मा की नहीं
अच्छी कहानी की ज़रूरत है जो देखने को नहीं मिलता
Friday, 23 January 2015
वेलकम बराक ओबामा!!!
गणतंत्र दिवस पर ओबामा का भारत में स्वागत,
एक दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र का राष्ट्रपति
तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रधानमंत्री
ओबामा और मोदी की दोस्ती कोई नया पैगाम दे
अमेरिका और भारत दोनों को ऐसी अपेक्षा है
सभी का विकास और आतंकवाद खत्म करने के लिए,
रणनीति बनाना इन दोनों का फ़र्ज़ है
भारत का जनतंत्र और गणतंत्र तो विश्व के लिए एक मिसाल है
जो एक चायवाले को प्रधानमंत्री बना देता है
तो दूसरा एक आम आदमी अरविन्द केजरीवाल कफ और मफलर के साथ
प्रधानमंत्री को भी टक्कर देने को तैयार
यही तो लोकतंत्र की विशेषता है
और ओबामा को यह भली-भाती मालूम है
तभी तो गणतंत्र दिवस पर भारत आ रहे है ।
चुनावी मौसम के आयाराम-गयाराम !!!
दाल बदल की राजनीती चुनाव आते ही शुरू होगयी
पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो दूसरी पार्टी का दामन पकड़ लिया
एक समय था की नेताओ का पार्टी आजाती थी
आज तो आयाराम-गयाराम की स्तिथि होगयी है
क्या नेता इतने स्वार्थी होगये है की पार्टी के लिए उनका कोई कर्त्तव्य नहीं है
बड़े बड़े दिग्गज एंड वख्त में धोखा दे दे रहे है
क्षणभर में मूल्य और सिद्धांत बदल जाते है
कल तक जिसकी आलोचना कर रहे थे आज उनको सर माथे पर बिठाया जा रहा है
यह तो भारत जैसे जनतांत्रिक देश के लिए ठीक नहीं है । ।
Thursday, 22 January 2015
किस के सर सजेगा दिल्ली का ताज ?
किरण बेदी और अरविन्द केजरीवाल
दोनों अन्ना के आंदोलन की उपज
एक समय के पुराने साथी,आज एक दूसरे के विरूद्ध खड़े हुए
काट छाट की राजनीती शुरू
भाजपा का दावपेच एकदम सटीक ,अब तो देखना यह है की दिल्ली के दिल में क्या है
किरण या केजरी ,किसका वार किसपर ?
कौन जीतेगा कौन हारेगा ?यह तो वक्त ही बताएगा ।
कमल खिलेगा या आएगी झाड़ू की बहार
पर जनता की तो है एक डिमांड वह है दिल्ली का ।
Wednesday, 21 January 2015
Tuesday, 20 January 2015
Monday, 19 January 2015
Thursday, 15 January 2015
Wednesday, 14 January 2015
Tuesday, 13 January 2015
Monday, 12 January 2015
व्यक्ति की तीन जरूरत - विद्यालय, औषधालय और सौचालय।
भारत के प्रत्येक गाँव में एक औषधालय होना चाहिए जिससे देश में मृत्यु दर घटे। लोग स्वस्थ रहे। आजकल झोलाछाप डॉकटरो की भी भरमार है। लोग केमिस्ट से भी दवाइयाँ लेते हैं जिससे कभी लेने के देने भी पड़ जाते
है। लोग स्वस्थ रहेगे तो देश का विकास भी होगा क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है।
अतः हमारे हर व्यक्ति की तीन जरूरत विद्यालय, औषधालय और शौचालय पूरा होना चाहिए।
विधालय तो है और सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है
पर शौचालय का नाम आते ही मुँह सिकुड जाता है
जबकि पहला स्थान इसका ही होना चाहिए
शौचालय होगा तो बीमारियॉ नहीं घेरेगी
और बीमारियॉ नहीं रहेगी तो बच्चे विधालय जाएगे
और परिवार ,समाज तथा देश का विकास होगा
Saturday, 10 January 2015
रामायण की विद्रोहिणी नारियाँ।
ढोल, गँवार, शुद्र, पशु, नारी में सब ताड़न के अधिकारी।
उसी रामचरित मानस की नारियाँ चाहे वह कैकयी, सीता या सुलोचना हो, उस समय की विद्रोहिणी नारियाँथी।
बड़े पुत्र को ही राजगद्दी क्यों ? देवासुर संग्राम में राजा दशरथ के साथ बराबरी से लड़ने वाली कैकयी को यह बात रास नहीं आयी। भरत को राजगद्दी मिले इसके लिए वह किसी भी हद तक जाना पड़ा, गयी।
महल में नहीं, सहधर्मिणी बन कर साथ रहूंगी। महलों को त्याग कर बाहर कदम रखने वाली नारी सीता।
मेघनाथ का कटा हुआ सर लाने रामादल में जाना इतना साहस सुलोचना के अलावा और कौन कर सकता था।
रावण का विरोध ,दशानन का मंदोदरी के सिवा किसका साहस हो सकता था
सीता का साथ देने वाली त्रिजटा
पत्थर बनी अहिल्या ,सुग्रीव की पत्नी तारा
यहॉ तक कि झूठे बेर खिलाने वाली शबरी जिसने जातिगत मान्यताओं को ठेंगा दिखा कर भगवान को भी अपने प्रेम के आगे झुका दिया
यह तो शुरूवात थी और आज वह बीज पेड बन कर लहलहा रहा है
हर क्षेत्र में परचम फहरा रहा है
जमीन से लेकर अंतरिक्ष तक
आज अबला नहीं सबला बन कर उभरी है
Friday, 9 January 2015
इंसान की सबसे अच्छी साथी किताबें।
कोई भी न हो तुम्हारे साथ, फिर भी किताबें कर सकती है तुमसे बात।
कराती वह दुनिया में समाज तथा लोगों के होने का अहसास।
किताबों का महत्व जिसने समझ लिया, उसने तो अपनी दुनिया की दिशा बदल दी।
व्यक्ति को सुसंस्कृत, ज्ञानार्जन, पथ-प्रदर्शन कराती है किताबें।
अतः किताबों को अपने जीवन का अहम अंग बनाइए, आपका जीवन सार्थक हो जायेगा। :
वाचन करना और बॉचना
इसके बिना तो जीवन अधूरा
सब साथ छोड देगे पर ज्ञान कभी नहीं
और वह तो पुस्तक से ही प्राप्त होगा
पढिए ,शब्दों से खेलिए
भावनाओं और कल्पनाओं को उकेरिए
सारे विश्व से संबंध स्थापित करिए
और यह सब तो वाचन करे बिना संभव नहीं
किताबों को जीवन का अभिन्न अंग बनाइए.
Wednesday, 7 January 2015
Tuesday, 6 January 2015
शिक्षक और शिक्षा का स्तर , दोनों को सुधारने की जरुरत है।
अच्छे शिक्षकों की कमी है, मोदी जी के अनुसार,
काशी के दौरे के समय उन्होंने व्यक्त किया, सही है क्योंकि हर कोई डॉक्टर, इंजीनियर, सि. ए, एक्टर,
बनना चाहता है पर शिक्षक नहीं।
एक जुमला टीचर, फटीचर होते हैं।
जबकि यह एक नोबल पेशा है, इसका कारण शिक्षकों के हालात भी है।
सरकारी स्कूल में नौकरी है तो ठीक है,
लेकिन प्राइवेट में २ - ३ हज़ार रुपये की नौकरी करने पर मजबूर हैं।
रोटी - रोटी के लिए ट्यूशन, कोचिंग क्लास का सहारा लेते है।
महानगरों की समस्या और भी भयावह है।
वर्नाक्यूलर मीडियम की पाठशाला बंद हो रही है, टीचर सरप्लस हो रहे हैं।
कक्षा में बच्चों की संख्या भी असीमित हैं।
पलकों का दवाब, डिपार्टमेंट का दवाब आदि से भी प्रभावित होता है।
दूसरा ज्ञानार्जन का आभाव, जब स्वयं ज्ञानार्जन करेंगे तभी तो दुसरो को भी ज्ञान देंगे।
अनिच्छा से शिक्षक बना व्यक्ति क्यों कोशिश करेगा।
काशी के दौरे के समय उन्होंने व्यक्त किया, सही है क्योंकि हर कोई डॉक्टर, इंजीनियर, सि. ए, एक्टर,
बनना चाहता है पर शिक्षक नहीं।
एक जुमला टीचर, फटीचर होते हैं।
जबकि यह एक नोबल पेशा है, इसका कारण शिक्षकों के हालात भी है।
सरकारी स्कूल में नौकरी है तो ठीक है,
लेकिन प्राइवेट में २ - ३ हज़ार रुपये की नौकरी करने पर मजबूर हैं।
रोटी - रोटी के लिए ट्यूशन, कोचिंग क्लास का सहारा लेते है।
महानगरों की समस्या और भी भयावह है।
वर्नाक्यूलर मीडियम की पाठशाला बंद हो रही है, टीचर सरप्लस हो रहे हैं।
कक्षा में बच्चों की संख्या भी असीमित हैं।
पलकों का दवाब, डिपार्टमेंट का दवाब आदि से भी प्रभावित होता है।
दूसरा ज्ञानार्जन का आभाव, जब स्वयं ज्ञानार्जन करेंगे तभी तो दुसरो को भी ज्ञान देंगे।
अनिच्छा से शिक्षक बना व्यक्ति क्यों कोशिश करेगा।
Monday, 5 January 2015
Sunday, 4 January 2015
Saturday, 3 January 2015
बच्चों में क्यों दुश्मनी जैसी भावना पनप रही है।
आजकल दो सेलेब्रिटी के युवा बच्चियों में आपसी संवाद का मामला चर्चा में हैं। यहाँ तक की पुलिस स्टेशन जाने की और रपट लिखाने की नौबत आ गई। बच्चो के मन को सच्चा कहा जाता है। लेकिन पाठशाला में ग्रुप बनाना, किसी को नीचा दिखाना, व्यंग कसना, अपने शिक्षक का मज़ाक उड़ाना, किसी बच्चे को सताना, आम बात हो गई है और इसमें उनको मजा आता है।
Friday, 2 January 2015
Thursday, 1 January 2015
Happy world smiling day क्या हँसना हमारी मजबूरी बन गयी है ?
हँसने के लिए भी प्रयास करना पड़े यह कितना हास्यास्पद है।
हँसने के लिए नए नए तरीके इज़ात किये जा रहे है।
लाफिंग क्लब, टी.वि पर अलग - अलग हँसाने वाले धारावाहिक,
कभी - कभी इसमें भोंडी कॉमेडी भी दर्शको के सामने परोसी जाती है, इसका कारण क्या है ?
हम क्या हँसना और खुश रहना भूल गए हैं
अपने परिवार और समाज से हट हम इनमे अपनी हँसी और ख़ुशी ढूंढ रहे हैं
डॉक्टर हँसने की सलाह दे रहे हैं
हँसने की मजबूरी हमारी सबसे बड़ी विडम्बना बन गयी है।
हँसना जरूरी है और यह दिल से निकलना चाहिए
हँसने के लिए नए नए तरीके इज़ात किये जा रहे है।
लाफिंग क्लब, टी.वि पर अलग - अलग हँसाने वाले धारावाहिक,
कभी - कभी इसमें भोंडी कॉमेडी भी दर्शको के सामने परोसी जाती है, इसका कारण क्या है ?
हम क्या हँसना और खुश रहना भूल गए हैं
अपने परिवार और समाज से हट हम इनमे अपनी हँसी और ख़ुशी ढूंढ रहे हैं
डॉक्टर हँसने की सलाह दे रहे हैं
हँसने की मजबूरी हमारी सबसे बड़ी विडम्बना बन गयी है।
हँसना जरूरी है और यह दिल से निकलना चाहिए
जहॉ चार लोग बैठे और हँसी के ठहाके न गूंजे
यह संभव नहीं
हँसता हुआ चेहरा सबको खुश कर देता है
हँसी तो बदसूरत को भी खूबसूरत बना देती है
माहौल को हल्का कर देती है
बच्चे अपनी निश्चल हँसी से हर किसी को आकर्षित कर लेते हैं
हँसने से हम लोगों के करीब आ जाते हैं
यह तो वशीकरण मंत्र है अपने पास लोगों को खीचने का
हँसते रहिए और खुश रहिए