Saturday, 15 November 2025

उजाला कहाँ- कहाँ???

हर जगह उजाला
घर में
मंदिर में
द्वार पर खिड़की पर
रसोंईघर
गुसलखाना
पीपल का पेड
बरगद का पेड़
कोई कोना ऐसा नहीं जहाँ दीया न जला हो
दीप न जगमगाएँ हो
रोशनी जब हर जगह
तब दिल भी तो रोशन हो
अंधकार को दूर करों
बरसों से जो संचित है जेहन में
किसी की बातें
किसी का व्यंग
किसी का दुर्व्यवहार
सालती है हर वक्त
उसको निकाल फेंके
अच्छी सोंच को जगह दे
भूल जाए 
क्या हुआ था
क्या नहीं
अंधकार में रहकर क्या फायदा
स्वयं को ही दर्द
जब जीवन स्थायी नहीं
तब सोच क्यों ?? 
उसको अपने साथ थोड़े ले जाना है
न उसको अमर बनाना है
उस कोने से बाहर निकले
रोशन करें
यह हमारे हाथ में है
कहाँ दीया जलाए
कहाँ नहीं
तब मन के हर कोने को साफ कर
वहाँ दीया जलाए
अपने जीवन को अंदर - बाहर दोनों तरफ से रोशन करें

Friday, 14 November 2025

आई है दीपावली

आई है दीपावली
खुशियों का संदेश लाई है दीपावली
रंगों से छाई है दीपावली
रोशनी से नहाई है दीपावली
दीयो से जगमगाई है दीपावली

बाजार सजे पडे हैं
सब जगह बहार ही बहार है
कहीं मिठाई तो कहीं खीले - बताशे
हलवाई की दुकान पर तो है हल्ला बोल
लड्डू मुस्करा रहे हैं
गुलाब जामुन ललचा रहे हैं
तरह-तरह की ये मिठाईयाँ
सबको लुभा रही है

तोरण बंदनवार से बाजार अटे पडे हैं
कहीं फूलों की माला
कहीं झिलमिलाती बल्ब की लडिया
फूलों का क्या कहना
वह भी अपनी सुगंध बिखेर रहे हैं
रंग - रंगोली , फूल - हार
और तो और 
बर्तनों की भरमार
सोना - चांदी भी अपनी चमक बिखेर रहे हैं

बच्चे हो या बूढे
मर्द हो या औरत
अमीर हो या गरीब
सब है उत्साह से भरे हुए
घर में भी छायी पकवानों की महक
गुझिया और शकरपारे
चकली और सेव
सब खाने की प्रतीक्षा में

कपड़े भी नए-नए
घर भी सजा - सजा
हर जगह उजाला
बाहर भी अंदर भी
स्वच्छता भी आज अपने चरम शुमार पर
रोशनी भी लाजवाब
सब माँ लक्ष्मी के आगमन का स्वागत
हमेशा उनकी कृपा बनी रहें

यहीं तो दीपावली है
प्रसन्नता का द्वार खोलती है
आए दीप प्रज्वलित करें
फुलझड़िया और अनार जलाए
सब कुछ भूलकर
एक साथ खुशियाँ मनाए
मतभेद भूला कर सबको अपना बनाएं
स्वयं भी खुश और दूसरे भी खुश
इस तरह दीपावली को शानदार बनाएं