Wednesday, 26 November 2025

औकात ???

उनके घर में बच्चे का जन्मदिन था
खूब तैयारी की थी
सजावट भी गुब्बारे से
न जाने कितनी फूल - पत्तियों से घर सजाया था
बडा सा केक आया था
कमला सब काम कर चली गई थी
संझा समय जन्मदिन मना धूमधाम से
केक कटे 
पिज्जा , बर्गर की पार्टी
बच्चा खुश 
उसके दोस्त खुश
बच्चों ने कुछ खाया कुछ छोड़ा
यह फेंकना क्यों ??
प्लेट से निकालकर इकठ्ठा किया
उसको क्या पता चलेगा
अच्छी तरह से प्लास्टिक के डब्बे में रख दिया
कल कमला बाई आएगी तो दे दूंगी
खुश हो जाएंगी
घर ले जाएंगी
कहाँ से उसके बच्चों को इतना मंहगा केक मिलेंगा

आज इतनी देर लगा दी बाई
कहाँ रह गई थी
केक लेने गई थी मेमसाब
कल बाबा का जन्मदिन था
आज मेरे छोटे का भी है
अब हम लोग गरीब 
बडा तो केक ले नहीं सकते
यह छोटा लाई हूँ
उसी बेकरी से जहाँ से आप लाती है
एक अपने लिए 
एक आपके लिए
एकदम फ्रेश है
आप लोग जरूर खाना
मेरे छोटे को आशीर्वाद देना
वह भी पढ लिखकर आप लोग जैसा बडा आदमी बनें

हाथ से केक का डिब्बा लेते हुए मैं सकुचा गई
इस गरीब का दिल
एक मेरा दिल
टेबल पर रखा हुआ 
वह जूठे इकठ्ठे किए  हुए केक का डिब्बा मुझे चिढा रहा था
मेरी औकात बता रहा था

Saturday, 15 November 2025

उजाला कहाँ- कहाँ???

हर जगह उजाला
घर में
मंदिर में
द्वार पर खिड़की पर
रसोंईघर
गुसलखाना
पीपल का पेड
बरगद का पेड़
कोई कोना ऐसा नहीं जहाँ दीया न जला हो
दीप न जगमगाएँ हो
रोशनी जब हर जगह
तब दिल भी तो रोशन हो
अंधकार को दूर करों
बरसों से जो संचित है जेहन में
किसी की बातें
किसी का व्यंग
किसी का दुर्व्यवहार
सालती है हर वक्त
उसको निकाल फेंके
अच्छी सोंच को जगह दे
भूल जाए 
क्या हुआ था
क्या नहीं
अंधकार में रहकर क्या फायदा
स्वयं को ही दर्द
जब जीवन स्थायी नहीं
तब सोच क्यों ?? 
उसको अपने साथ थोड़े ले जाना है
न उसको अमर बनाना है
उस कोने से बाहर निकले
रोशन करें
यह हमारे हाथ में है
कहाँ दीया जलाए
कहाँ नहीं
तब मन के हर कोने को साफ कर
वहाँ दीया जलाए
अपने जीवन को अंदर - बाहर दोनों तरफ से रोशन करें

Friday, 14 November 2025

आई है दीपावली

आई है दीपावली
खुशियों का संदेश लाई है दीपावली
रंगों से छाई है दीपावली
रोशनी से नहाई है दीपावली
दीयो से जगमगाई है दीपावली

बाजार सजे पडे हैं
सब जगह बहार ही बहार है
कहीं मिठाई तो कहीं खीले - बताशे
हलवाई की दुकान पर तो है हल्ला बोल
लड्डू मुस्करा रहे हैं
गुलाब जामुन ललचा रहे हैं
तरह-तरह की ये मिठाईयाँ
सबको लुभा रही है

तोरण बंदनवार से बाजार अटे पडे हैं
कहीं फूलों की माला
कहीं झिलमिलाती बल्ब की लडिया
फूलों का क्या कहना
वह भी अपनी सुगंध बिखेर रहे हैं
रंग - रंगोली , फूल - हार
और तो और 
बर्तनों की भरमार
सोना - चांदी भी अपनी चमक बिखेर रहे हैं

बच्चे हो या बूढे
मर्द हो या औरत
अमीर हो या गरीब
सब है उत्साह से भरे हुए
घर में भी छायी पकवानों की महक
गुझिया और शकरपारे
चकली और सेव
सब खाने की प्रतीक्षा में

कपड़े भी नए-नए
घर भी सजा - सजा
हर जगह उजाला
बाहर भी अंदर भी
स्वच्छता भी आज अपने चरम शुमार पर
रोशनी भी लाजवाब
सब माँ लक्ष्मी के आगमन का स्वागत
हमेशा उनकी कृपा बनी रहें

यहीं तो दीपावली है
प्रसन्नता का द्वार खोलती है
आए दीप प्रज्वलित करें
फुलझड़िया और अनार जलाए
सब कुछ भूलकर
एक साथ खुशियाँ मनाए
मतभेद भूला कर सबको अपना बनाएं
स्वयं भी खुश और दूसरे भी खुश
इस तरह दीपावली को शानदार बनाएं

Thursday, 30 October 2025

सबकी भागीदारी

दीपावली आ रही है
दस्तक दे चुकी है
तैयारी शुरू 
रंग रोगन , साफ सफाई 
खरिदारी  इत्यादि 
केवल हमारे घर ही दीप जले
हमारे घर ही खुशी हो
नहीं 
सबका मुंह मीठा हो
फुलझड़िया और अनार जले
तोरण - बंदनवार लगे
कंदिल जगमगाएँ 
सही है न 
हम तभी खुश होंगे 
जब सब खुश होंगे 
हमारे अडोसी - पडोसी 
हर देशवासी 
तब स्वदेशी अपनाए
अपने देश का दीया
अपने देश का सामान
अपने देश की लाईट की लडी
जो जगमगाएँ तब लगे देश जगमगाएँ 
विदेशी सामान के लोभ में 
थोडा सा सस्ता होने के कारण
यह सोचे 
यह सस्ता कितना मंहगा पड रहा है
हमारी अर्थव्यवस्था को बढाना है
अपने लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है
तब सबकी भागीदारी हो
आप भी दे 
अपने घर में ही नहीं सबके घर दीया जले
जश्न  मने 
दीवाली एक की नहीं सबकी है 
सबका योगदान जरूरी है