Monday, 6 January 2025

उम्र के साथ चल पड़े

बालों पर सफेदी आ रही है 
आने दो 
चेहरे पर झुर्रिया पड़ रही है 
पड़ने दो 
दांत टूट रहे हैं
टूटने दो 
हाथ- पैर लड़खड़ा रहे हैं 
होने दो 
खाना अब पहले जैसा पचता नहीं
कोई बात नहीं
नींद अब कम आती है 
आने दो 
उम्र का पड़ाव है यह तो
आप अब बच्चें नहीं सीनियर सिटिजन की श्रेणी में आते हैं
बहुत से फायदे भी हैं
थोड़ा रंग - रोगन कर ले शरीर पर
सुंदर दिखने के लिए 
न करें तो कोई बात नहीं
जो है उसे स्वीकार कर लें
उम्र के साथ चल पड़े 

Sunday, 5 January 2025

उजाले का इंतजार

सिंदूरी आभा ने मन मोह लिया
सुबह- सुबह ही मन खिल गया
क्या लालिमा लेकर निखरा है
रात भर जो अंधकार में रहा है 
अंधेरा हमेशा रहता नहीं
उसकी सुबह भी होती है
कोहरा कितना भी घना हो 
छूटता जरूर है
बस इंतजार करना है 
घड़ी की सुई का 
कब आगे बढ़ती है 
एक जगह स्थिर नहीं रहेंगी
गोल - गोल घूमती 
साथ में सबको घुमाती 
चल सको  तो चलो 
मेरे साथ हो लो 
उजाला भी तुम्हारें द्वार पर दस्तक देगा 

अब भली खामोशी ही

खामोश रहना सीख लिया 
अब बात बढ़ाव का मन नहीं
जब कोई न मुझे 
उलझाव ठीक नहीं 
बात बताते - बताते थक गए 
हार कर आखिर चुप हो गए 
मान लिया तुम ही सही 
लेकिन पूरे गलत तो हम भी नहीं
हुई होगी गलतियां
उसका हमें भी है गिला 
उसकी सजा भी मिली ही 
नहीं तो हम वह शख्स नहीं 
जो किसी के आगे झुके 
स्वाभिमान से परिपूर्ण 
जो डोलता ही रह गया 
हर किसी के सामने 
हम बिना गलत के भी साबित होते रहें गलत
उसको भी स्वीकार कर लिया 
प्यार से भरे जो थे 
वह हिलोरे मार रहा था
हम हिचकोले खा रहे थे
हम मझधार में फंसे थे
हाथ- पैर मार रहे थे
जीवन नैया जो किनारा ढूंढ रही थी
साथ ही साथ आईना भी दिखा रही थी
बहुत कुछ देखा
बहुत कुछ समझा
अब भली खामोशी ही 

Saturday, 4 January 2025

जिंदगी फिर न मिलेगी दुबारा

कब तक कोमल बने रहोगे 
कब तक पीड़ा पीते रहोगे
कब तक चुप रहोगे 
कब तक अपमान सहोगे 
कब तक दिखावा करते रहोगे 
कब तक ढोल पीटते रहोगे 
कब तक एकतरफा रिश्ता निभाते रहोगे 
कब तक गलत का समर्थन करोगे 
कब तक क्रोध को दबाकर रखोगे
कब तक शालीनता का कवच धारण करते रहोगे 
कब तक सबको खुश रखने की कोशिश करते रहोगे 
आखिर कब तक ??
कहीं ऐसा न हो 
एक दिन यह मन का गुबार फूट पड़े
सब ढह जाए 
इससे पहले ही संभल जाओ 
जीवन तुम्हारा 
जीने का हक है ना
बस दूसरों का जीवन जीते रहो
अपना कब जीओगे 
अपने लिए भी जी लो 
खुल कर मनमौजी - मनमर्जी कर लो 
जिंदगी फिर न मिलेगी दुबारा