समतल - सपाट हो
बाहर धूप न हो
हमेशा छाया ही रहें
ऐसा अमूनन होता नहीं
हम सोचते हैं
जो होता नहीं
कभी मन के अनुसार
कभी विरुद्ध
जाना पड़ता है
यह मजबूरी है
जरुरत भी है
पैर में छाले भी पड़ेगे
पसीने से तर-बतर भी होगे
चलना तो फिर भी है
मंजिल पर जो पहुंचना है
थक - हार बैठना
यह जिंदगी का उसूल नहीं
यह समर है
इसे लड़ना ही पड़ेगा