Thursday, 30 October 2025

सबकी भागीदारी

दीपावली आ रही है
दस्तक दे चुकी है
तैयारी शुरू 
रंग रोगन , साफ सफाई 
खरिदारी  इत्यादि 
केवल हमारे घर ही दीप जले
हमारे घर ही खुशी हो
नहीं 
सबका मुंह मीठा हो
फुलझड़िया और अनार जले
तोरण - बंदनवार लगे
कंदिल जगमगाएँ 
सही है न 
हम तभी खुश होंगे 
जब सब खुश होंगे 
हमारे अडोसी - पडोसी 
हर देशवासी 
तब स्वदेशी अपनाए
अपने देश का दीया
अपने देश का सामान
अपने देश की लाईट की लडी
जो जगमगाएँ तब लगे देश जगमगाएँ 
विदेशी सामान के लोभ में 
थोडा सा सस्ता होने के कारण
यह सोचे 
यह सस्ता कितना मंहगा पड रहा है
हमारी अर्थव्यवस्था को बढाना है
अपने लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है
तब सबकी भागीदारी हो
आप भी दे 
अपने घर में ही नहीं सबके घर दीया जले
जश्न  मने 
दीवाली एक की नहीं सबकी है 
सबका योगदान जरूरी है

Tuesday, 28 October 2025

तू है मेरी जान

तू है मेरी जान
तेरे बिना मैं बेहाल
मेरे रातों की नींद तू
मेरे दिल का चैन तू
मेरी हमसफर
मेरे अकेलेपन की साथी
मैं और तू 
उसमें नहीं किसी और का काम
तुझसे बिछुडना नहीं गंवारा
कोई नाराज हो या खुश
उसकी नहीं कोई परवाह
तू ही खुदा मेरी
तुझमे सारा जग दिखता
मेरी दुनिया तुझमे समाई
एक बार जब थाम लिया
तब सब स्वर्ग का आंनद मिल गया
घूंट घूंट उतरती तब दिल को ठंडक मिलती
अमृत की बूंदों की तरह छलकती
गले को तर करती
कुछ न साथ बस हो तेरा साथ
तब क्या गम
मेरा सब गम तू हर लेती
सब दुख दर्द भूला देती
जब एक घूंट अंदर जाती
तब सब कुछ हो जाता हवा हवा
मदहोशी का आलम
साकी और प्याला
इससे दूजा न कोई प्यारा
तू ही मेरी जान
तू ही मेरा जहान
तुझ बिन लागे सब अधूरा
तू है मेरी प्यारी शराब

Monday, 27 October 2025

दिमाग में कूड़ा

किसी ने दीपावली में घर का कूड़ा एक जगह रख दिया 
फिर क्या 
देखते देखते कूड़े का पहाड़ बन चुका था 
सबको वही जगह दिखने लगी 
ऐसा ही जीवन में भी होता है 
किसी एक ने तुममें कमी देखी 
तब हर कोई तुममें कमियां निकालते रहता है 
चाहे वह अपने लाख बुरा हो 
यही फितरत है 
टूटे हुए को और तोड़ना 
कुरेद कुरेद कर निकालना 
पता नहीं क्या मिलता है 
मजा आता होगा शायद 
अपने में झांक कर देखा नहीं होगा 
बुरा जो देखा मैं चला 
      मुझसे बुरा न कोई
समाज है ना 
कुछ तो दिमाग में डालना है 
चाहे वह कूड़ा ही क्यों न हो 
कूड़ा भर लेंगे 
फिर उसकी गंदगी यहाँ- वहाँ फैलाते रहेंगे 
चुगली - निंदा करते रहेंगे 
आप जो नहीं जानते हैं अपने बारे में 
वह भी वे जानते होंगे 
बहती गंगा में हाथ धोने वाले भी बहुतेरे 
चलो हम भी कुछ जोड़ देते हैं 
साथ में हंस भी लेते हैं

मौन

मौन रहो जब सब हो रास्तें बंद 
चुप्पी में ही है भलाई 
क्या करोगे समझाकर 
सफाई देकर
जब सामने वाला सुनना ही न चाहे 
समझना ही न चाहे 
धारणा बना ली हो 
तुम गलत ही हो 
हमेशा गलत ही रहोगे
मौन वह कह देता है 
जो शब्द नहीं कह पाते 
असमर्थ हो जाओ जब
मौन धारण कर लो तब
समय सब समझा देगा 
बस थोड़ा धैर्य 
सही ,सही ही रहेगा 
गलत , गलत ही 
बस समझ का फेर है 
जिस दिन समझ आ जाएगा 
सब कुछ बदल जाएगा