उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद को कौन भूल सकता है
भारतीय किसान का जीवंत चित्रण उनसे अच्छा कौन कर सकता है
गोदान के होरी को उन्होंने अमर कर दिया
भारत का गॉव उनकी आत्मा में बसती थी
हर सामाजिक बुराईयों का चित्रण उन्होंने किया है
उन्होंने विधवा विवाह का प्रश्न ही नहीं उठाया पर विधवा शिवरानी देवी से विवाह भी किया
निर्मला में दहेज समस्या को उठाकर हर परिवार की सच्चाई दिखाई
गबन ,सेवासदन ऐसे न जाने कितने
कफन कहानी में जो व्यंग्य किया है जीने पर कपडा - खाना नहीं
मरने पर नया कफन
सवा सेर गेहूँ में ब्राहण व्यवस्था पर जम कर प्रहार
जो हँस नहीं सकता जो रो नहीं सकता
जो गुस्सा नहीं हो सकता
जो गलती नहीं कर सकता
ऐसा मनुष्य इंसान नहीं देवता नहीं हो जाएगा
मनुष्य तो कमजोरियों का पुतला है
यही कमजोरियॉ तो उसे मनुष्य बनाती है
दोषरहित चरित्र तो देवता का हो जाएगा
और हम उसे समझ ही नहीं पाएगे
हिन्दी साहित्य मुंशी जी के बिना अधूरा है
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Sunday, 31 July 2016
मुंशी प्रेमचंद
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