Friday, 19 March 2021

नीम की मिठास

माना कि तुम नीम की तरह हो
जैसे वह कडवा वैसे तुम भी
फिर भी वह कितना उपयोगी
अपनी शीतल छाया देता है
उसकी छांव तले बैठ सुकून मिलता है
औषधीय गुणों से भरपूर
कहीं चोट लग जाएं
तब उसकी छाल घिस कर लगा ली
हर रोग में रामबाण

तुम भी तो कुछ कुछ वैसे ही हो
थोड़े नीरस थोड़े कडवे
वह तो स्वभाव तुम्हारा
वह तो बदलने से रहा
तुम्हारे सानिध्य का सुख
तुम पर ही विश्वास
तुमसे ही निश्चिंतता
सब भार अपने ले
कष्ट सह मेहनत कर
हमें सुख और खुशी देखने की कोशिश
तुम्हारा त्याग और समर्पण
हमारे ही इर्द-गिर्द तुम्हारी दुनिया
तब और क्या चाहिए
उस प्रेम में तुम्हारी कडवाहट कहीं लुप्त

सवाल लोग पूछते हैं
ये इतने गुस्सैल
बुरा नहीं लगता
शायद नहीं
क्योंकि उस गुस्से में मुझे प्यार दिखता है
जवाब देती हूँ
आदत हो गई है
अगर जिस दिन गुस्सा न हो चुप हो
उस दिन कुछ गडबड लगता है
प्रेम की चाशनी में डुबोकर बोले
तब एबनार्मल लगता है
उनके गुस्से पर भी प्यार आता है
ये वह नीम है जो कडवी होने पर भी मीठी लगती है

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