कभी मैंने सिखाया तुझको
चलना सिखाया तुझको
तरीका रहन सहन का सिखाया तुझको
मनपसंद खाना खिलाया तुझको
हमारा समय बीत चुका है
अब बारी तेरी है
बात कोई फर्ज की नहीं
न कोई कर्ज की
न दुनिया दारी की
बस एक अपनेपन की है
वहीं अपनापन जो हमसे मिला था
प्यार और स्नेह मिला था
अधिकार मिला था
हम , हम न रहे थे
अपने को समाहित कर दिया था
तुम्हारे लिए
अब हमें भी कुछ सीखना है
मोबाइल चलाना
गाडी बुक कराना
ए टी एम से पैसे निकालना
होटल से खाना मंगवाना
यह सब हमसे ज्यादा तुमको आता है
कम्प्यूटर युग के हो
तब जरा समय निकालो
हमारा भी कुछ ख्याल रखो
काम तो चलता रहेगा
जैसे सबके लिए समय
वैसे ही हमारे लिए भी
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