Sunday, 10 October 2021

जहाँ से चले थे फिर वहीं पहुँच गए

कुछ पाने के लिए कुछ खोना
बिना खोए कुछ पाता नहीं
जिंदगी भर  प्रयास करते रहें
कब खुशी मेरे घर आएगी
इंतजार करते रहें
ऐसा नहीं कि खुशी आई नहीं
बहुत बार आई
कभी थमी कभी झलक दिखला कर चली गई
जब तक खुश होते
जिंदगी फिर ऐसा यू टर्न ले लेती
खुशी धरी की धरी रह जाती
हजार छोटी छोटी खुशियों पर कभी एक गम भारी पड जाता है
वही बात हुई
जिंदगी ऑख - मिचौली करती रही
जब पीछे नजर डालते हैं
तब लगता है
क्या खोया और क्या पाया
इस पाने और खोने के चक्कर में  उम्र बीत गई
ऐसा लगता है
जहाँ से चले थे फिर वहीं पहुँच गए ।

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