Tuesday, 14 January 2025

मकर संक्रान्ति की याद

वाकया बहुत पुराना है याद अभी भी ताजा है जब मैंने भी बनाए थे तील के लड्डू।सबको देखकर मैंने भी सोचा चलो बनाते है ।एक बड़े डेगची भर पानी चढ़ाया स्टोव पर फिर गुड़ डाला ।अब पानी तो खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था ।कुछेक पांच किलो गुड़ धीरे धीरे डाल दिया जो गाँव से आया था ।मुंगफली -तील भी डाल दिया । जला जला कर थक गई तो पतिदेव को पता न चले तो डेगची को छिपा दिया । अगले दिन जब देखा तो वह तो पत्थर जैसे बन गया था । डेगची फेक नहीं सकती थी तो पड़ोस की चाची को बताया तो उन्होंने उसको थोड़ा गर्म किया तो छूटा उसके बाद सबने उसको तोड़ तोड़ कर खाया कहा कि यह तो पट्टी बन गया है स्वादिष्ट है । सामग्री तो पड़ी ही थी । अब भी वह पट्टी याद आती है जब तील के लड्डू देखती हूँ।

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