मैं ताजमहल हूँ ,सदियों से ऐसे ही खडा हुआ
लोग आते रहे जाते रहे ,सदिया बीतती गई
मैं मोहब्बत का प्रतीक माना जाता हूँ
हर प्रेमी युगल जोडा मुझसे जुडना चाहता है
फोटो खिचवाएँ जाते हैं सेल्फी ली जाती है
मैं मिसाल हूँ दुनियॉ के सामने
मेरे बारे में न जाने क्या -क्या लिखा गया
कारीगरों के हाथ काटने का इल्जाम भी लगाया गया
गरिबों के खून -पसीने के पैसै से सींचने का इल्जाम लगा
किसी ने मुझे बेमिसाल माना और संसार के आश्चर्यो में शामिल किया तो किसी ने
हाय ं मृत्यु का अमर अपार्थिव पूजन करार दिया
लेकिन किसी ने मेरी व्यथा सुनी?
आज मेरा दुधिया सफेद संगमरमर का रंग काला पड रहा है
बढता हुआ प्रदुषण मेरे असतित्व के लिए खतरा पैदा कर रहा है
अब तक तो मैं सभी का था यहॉ तक कि पडोसी देश पाकिस्तान से तल्खी होने के बावजूद वहॉ के वजीरे आलम मेरे दर पर आने का मोह नहीं संवरण कर सके
लेकिन अब मुझे भी विवादों में घसीटा जा रहा है
धुऑ उठता दिखाई दे रहा है पर मैं यह सब सहन नहीं कर पाऊंगा
मैं प्रेम के प्रतीक के रूप में ही रहने दिया जाय
सबके दिलों में मैं विराजमान रहूं
मैं किसी धर्म का नहीं और न केवल एक बादशाह का
अपनी बेगम के प्रति प्रेम का प्रतीक नहीं बल्कि हर
मुहब्बते दिल का अजीज हूँ
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Extremely beautifully written..conveys d sad state of affairs in our country..
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