हरियाणा सरकार ने ग्राम पंचायत चुनाव के लिए उम्मीदवारों के लिए शिक्षा का मापदंड तय किया कि नौंवी पास होना ही चाहिए
इस पर लोग हाय तौबा मचा रहे है
शिक्षा हर व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है
सरकार ने इसलिए हर जगह शिक्षा की व्यवस्था की है
हर तबके के लोगों के लिए
फिर क्या मजबूरी है
यह सही है कि अनुभव मायने रखता है पर शिक्षा
उसका तो कोई सानी नहीं
आज भी बडे बडे शहरों में भी ऐसे लोग मिलेगे जो साक्षर नहीं है गॉवों की तो बात ही अलग है.
ऐसा नहीं कि पाठशाला नहीं थी
आज हम विकास की दिशा में बढ रहे है
हमारे नेता भी शिक्षित होना चाहिए
आज तो यह विडंबना है कि नेता का बेटा है इसलिए मंत्री बना दिया गया भले अनुभव और शिक्षा दोनों ही न हो
कितनों की डिग्री फर्जी निकली
और ये ही लोग हमारे योग्य अधिकारियों को उंगली पर नचाते हैं
उनका अपमान करते हैं
हमारे अधिकारियों की योग्यता उनकी सुरक्षा करने में चली जाती है
हमारे पुराने नेताओ को याद करिए ज्यादातर सब पढे लिखे थे और है भी
और जो नहीं थे उनहोंने अनुभव की घुट्टी घोल कर पिया था
पर आज क्या हो रहा है
अगर शिक्षा मौलिक अधिकार है तो फिर क्यों नहीं डिग्री का भी मापदंड होना चाहिए
और नौकरियों की तरह
एक पढा -लिखा नेता अच्छी तरह से काम करेंगा
जो स्वंय नहीं समझ पाएगा वह काम क्या करेगा
जमाना तरक्की कर रहा है
नेट और कम्पूयटर का युग है तो नेता क्यों पीछे रहे
सब जगह यह कानून लागू करना चाहिए
और हर पद के लिए क्वालिफिकेशन भी
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