मोदी जी विदेश दौरे से लौटते वक्त अचानक पाकिस्तान जाने का मन बना लिया
दो घंटे के लिए गये भी
नवाज शरीफ को बधाई दी तथा उनकी नवासी की शादी थी उसको भी अपना आशिरवाद दिया अच्छी बात है
एक अच्छे पडोसी और दोस्त का फर्ज निभाने में बुराई क्या है
पाकिस्तानी मीडिया और भारत में भी इस पर बवाल मच गया
पहले तो आॉख नहीं मिलती थी अब हाथ तो मिले हैं
बर्थ डे डिप्लोमेसी कितनी कामयाब होती है
यह तो वक्त ही बताएगा
पर सच में पाकिस्तान पर कुछ असर पडेगा?
वाजपेयी जी जब बस से गये थे उसी समय बमबारी भी हुई
अब मोदी जी गये तो पठानकोट में आंतकी हमला हुआ
कब तक ऐसा चलता रहेगा
प्रयास करना शॉति के लिए अच्छी बात है पर वह कारगर होगा क्या ?
सबने प्रशंसा की प्रधानमंत्री के इस कदम की दुसरे देशों के राष्ट्रध्यक्षों ने
पर अगर यह सबको साथ में लेकर किया जाता तो
विपक्ष में भी नाराजगी है.
मोदी जी कोई साधारण व्यक्ति नहीं है
विश्व के सबसे बडे लोकतांत्रिक देश भारत के प्रधानमंत्री है
उनकी सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी भी अहम है
और रही बात मिलने मिलाने की तो कब से यह प्रयत्न चल रहा है पर हमारा पडोसी झगडे की भाषा के सिवा दूसरा कुछ समझता ही नहीं
कितना झुके कितना हाथ मिलाये और कितनी डिप्लोमेसी करे
क्या फर्क पडा है
वह आए दिन बमबारी करता रहता है
हमारे जवान शहीद होते रहते हैं
आंतकवाद फैलाता रहता है और हम मित्रता का हाथ बढाते रहते हैं
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