समाज में परिवर्तन हो रहा है
लोगों की सोच बदल रही है पर पत्नी के मामले में!
अगर पढी -लिखी पत्नी चाहिए या बहू चाहिए तो उसको सम्मान भी देना पडेगा
उसके अपने विचारों की कद्र भी करनी पडेगी
वह पैसा कमाने की मशीन नहीं है
आज लडकियॉ पढ रही है आगे बढ रही है
पर भारतीय मानसिकता पत्नी को पति का कहना ही मानना पडेगा
शादी -ब्याह सात जन्मों का बंधन है
पति परमेश्वर है
पर आज की स्री यह मानने को तैयार नहीं है
यही से टकराव शुरू होता है
वह सास ,ननद के बंधन से मुक्त रहना चाहती है
ऐसे में पुरूष के लिए मुश्किल हो जाता है
वह क्या करे?
एक तरफ तो जन्म देनेवाली मॉ है दूसरी तरफ पत्नी
टकराव शुरू हो जाता है
हर मॉ बेटा तो श्रवण कुमार जैसा चाहती है पर पति नहीं
पहले शादियॉ कम उम्र में होती थी
आज वह बात नहीं रही
कोई किसी पर शासन नहीं कर सकता
हर व्यक्ति स्वतंत्र है फिर चाहे वह नारी हो या पुरूष
आज आपका बच्चा आपकी हर आग्या का पालन नहीं करता तो एक परिपक्व इंसान से आप कैसे यह अपेक्षा कर सकते हैं.
अगर सहयोग ,समझदारी और प्रेम से काम नहीं किया गया तो यह बॉधा हुआ रिश्ता टूटने में समय नहीं लगता
इसका परिणाम भी सबको भुगतना पडता है
इसलिए हर सदस्य का यह कर्तव्य है कि वह समझदारी से काम ले
बहू को अपने घर की जागीर न समझा जाय.
तभी यह विवाह नामक संस्था बची रहेगी
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