मनुष्य की सबसे अच्छी साथी है किताबें
मानव को मानव से जोडती है किताबें
वर्तमान ,भूत और भविष्य से परिचय कराती हैं
जीवन को जीने लायक बनाती है
मनुष्य को एक- दूसरे के करीब लाती है किताबें
जाति और धर्म से ऊपर उठकर जीना सिखाती है
पूरे विश्व से परिचय कराती हैं किताबें
स्स्कृति और सभ्यता को सहेजती हैं किताबें
भाषा से परिचय कराती हैं किताबें
भूगोल ,इतिहास बताती हैं किताबें
जीवन का गणित भी सिखाती हैं और दो ,दूना चार करना भी सिखाती हैं
विज्ञान के चमत्कार और खगोलिय जानकारी भी देती
किसी न किसी रूप में हर युग में विद्यमान रही है
चाहे ताडपत्र हो या इंटरनेट
पुस्तक के बिना तो जीवन अधूरा
पुस्तक न होती तो बाइबल ,गीता ,कुरान न होते
ईश्वर के नजदीक ले जाती है और साक्षात्कार कराती हैं
गॉव - देहात से परिचय कराती हैं
नदी ,पहाडों की सैर करवाती है
कल्पना और सपनों की दुनियॉ में ले जाती हैं
साथ ही जीवन की वास्तविकता भी बताती हैं
अगर किताबें न होती तो कबीर ,मीरा तुलसी न होते
शेक्सपियर के नाटक और प्रेमचन्द का गोदान न होता
कार्ल माक्स का समाजवाद न होता
गॉधी का सत्याग्रह न होता ,तिलक की केसरी न होती
सभ्यता के उद्गम से स्वतंत्रता की लडाई की गवाह रही हैं किताबें
प्रचीन युग से आधुनिक युग तक विद्यमान हैं ये
वक्त बदल सकता है पर किताबों का महत्तव नहीं
विकास करना है तो पढना भी है
इतनी बहुमूल्य देन विधाता की केवल मनुष्य को
इसे बचाना है ,संभालना है ,
नई पीढी को हंस्तातरित करना है
युग बदल रहा है ,सोच भी बदल रही है
पर पुस्तक तो पुस्तक ही है
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