नरेन्द्र मोदी और कन्हैया कुमार इनकी तुलना
यह बात गले उतरती नहीं है
कल का यह लडका हमारे इतने अनुभवी प्रधानमंत्री के बारे में जो चाहे वह बोल रहा है
युवा वर्ग उसका मजा ले रहा है
कन्हैया के हर वाक्य पर ताली बज रही है
एक चाय बेचने से लेकर सामान्य कार्यकर्ता के कुर्सियॉ उठाने तक का काम
गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचना एक लम्बे मेहनत और प्रयत्न का प्रतिफल है
कन्हैया कुमार तीस साल तक यूनवर्सिटी में पडे हैं
और छात्र राजनीति कर रहे हैं
आजकल हवाई जहाज की सैर ,कार भ्रमण और देशाटन हो रहा है
यह कौन पैसा दे रहा है?
क्या स्कालर शिप से खर्च हो रहा है
देशप्रेमी और देशद्रोही से ऊपर उठकर कुछ काम करें
भाषण देने से कोई देशप्रेमी नहीं हो जाता
हवाई जहाज की सैर करने वाला यह कन्हैया लोगों को केवल हवाई स्वप्न दिखा रहा है
ऐसे लोगों की बात में अगर आए तो सर पिटने के अलावा कुछ नहीं बचेगा
ऐसे ही देश सूखे की समस्या से ग्रस्त है
पानी काअभाव ,बेराजगारी ,भूखमरी ,लोगों का शहरों की ओर पलायन की समस्या को नजरअंदाज कर
कन्हैया कुमार पर दृष्टि केन्द्रित करना
यह देश को रसातल में ही ले जाएगा
कन्हैया कुमार जयप्रकाश नारायण नहीं है
और न भगत सिंह ही है
वे पहले अपने पैरों पर तो खडा होना सीखे
देश की बात बाद में करें
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