आज टेलीविजन पर जंगल का दृश्य देख रही थी
जिसमें तीन शेरो के गेंडे पर आक्रमण करने पर गेंडे ने अपनी आत्मरक्षा में उनको दौडा - दौडा कर खदेड दिया और तीनों दुम दबाकर भाग खडे हुए
एक दूसरे दृश्य में तेंदुए को बंदरों ने भगा दिया
कभी बकरी अपनी आत्मरक्षा में कुत्ते से भीड गई
यहॉ एक बलवान दूसरे पर आक्रमण कर रहा है
पर अब निर्बल को भी समझ आ गया है कि डरने से काम नहीं चलेगा
हमेशा शेर ही क्यों राजा बना रहे
केवल निरीह जानवरों को खाने के लिए
परिस्थितियॉ बदल रही है तो जंगल के प्राणी भी बदल रहे हैं
समय तो किसी को नहीं छोडता
वहीं मछली है जो तलाब में पानी होने पर चींटी को खा जाती है
वही चींटी तलाब सूख जाने पर मछलियों को चॉट डालती है
ताकत सबके पास होता है पर उसका अंदाजा नहीं होताा
मुर्गी कमजोर है पर जब वह अपने बच्चों के साथ रहती है तो बिल्ली और ऊपर चील पर भी झपट्टा मार देती है
यह तो जंगल और जानवरों की बात है
इंसान ने जब- जब विद्रोह किया
बडी- बडी क्रातियॉ हुई
सत्ता धारियों को भागना पडा
समय की नब्ज पहचाननना बहुत जरूरी है
अन्यथा समय का करवट क्या कराएंगा
कहा नहीं जा सकता
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