मैं हर रोज टहलने जाती हूँ ,एक दिन देखा कि एक व्यक्ति तेज - तेज जा रहे हैं
मेरी भी गति तेज हो गई और मन में उनसे आगे निकलने की ठान ली
आखिर प्रयत्न कर मैं उनसे आगे निकल ही गई
पर उसके साथ- साथ थकान आ गई
घर जाने में देर हो गई ,तनावग्रस्त हो गई
सारी दैनिक दिनचर्या बिगड गई
अफसोस होने लगा कि मुझे क्या जरूरत थी मन में होड लगाने की
यही तो जीवन में हम करते हैं
दूसरो को देख कर और आगे निकलने की होड में दुखी रहते हैं
जीवन का आनंद भी नहीं ले पाते
सारी जिंदगी जो नहीं मिला ,उसके गम में दुखी रहते हैं
इस संसार में बहुत लोग आपसे बेहतर होगे
उनके पास गाडी,बंगला ,नौकर- चाकर तमाम सुविधाएं होगी
अच्छी नौकरी होगी ,स्वास्थ्य होगा
पर बहुत सारे आपसे कम भी होगे
उनके पास दो जून की रोटी और रहने को घर भी नहीं होगा
ईश्वर ने आपको कुछ दिया है तो किसी को कुछ
अपने हिस्से का सुख उठाइए
कोई एक जैसा नहीं हो सकता
अपनी तुलना किसी से मत कीजिए
महत्तवकॉक्षी होना चाहिए पर सुकून खोकर नहीं
आपका बेटा अगर अच्छे अंक नहीं लाया पर पास तो हुआ है
बडी नौकरी नहीं पर छोटी तो है
एक ही संतान पर वह है तो
कितनों को तो वह भी नहीं
शरीर के सब अंग सही- सलामत है ,बीमारी है तो क्या?
कुछ तो हमेशा आपसे आगे रहेगे
कुछ से आप आगे रहेंगे
संतुष्ट रहना और हम जैसे है ,हमारे पास जो भी है
कम नहीं है
आगे निकलना है तो दूसरो को पछाड कर नहीं
पर खुद से आगे निकलना है
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