हमारे पडोस में एक दंपत्ति रहते हैं ,बाल - बच्चे नहीं है
दोनों कामकाजी है
उनके घर कोई नौकर नहीं है ,अपना काम स्वयं करते हैं आजकल नौकर. रखना भी अमीरी की निशानी है
एक दिन बिल्डिंग का चौकीदार किसी से बोल रहा था क्या करेंगे पैसा जमा कर
कोई खानेवाला भी तो नहीं है
पर यह सोच कर पैसे को बिना कारण फिजूलखर्च किया जाय ,यह तो उचित नहीं है
पता नहीं जिंदगी कितनी बडी है
बुढापे में तो और जरूरत होती है जब शरीर कमजोर हो जाता है
दवाई में पैसे खर्च होते हैं.
एक बार अस्पताल में एडमिट हुए तो हजारो- लाखो रूपए लग जाते हैं
जिसने यह नहीं सोचा और भविष्य की योजना न बनाई तो जीना दूभर हो जाएगा
आज तो बच्चे बडे होने पर मॉ- बाप को वैसे ही नहीं पूछते हैं तो आपके पास कुछ नहीं होगा तो कौन देखभाल करेंगा
पैसा कम से कम आपकी जिंदगी को आसान तो बना देगा
पैसा सब कुछ नहीं पर बहुत कुछ मायने रखता है
इसलिए सोच - समझ कर खर्च करना चाहिए
जितनी चादर हो उतना ही पैर फैलाएं
भविष्य के लिए बचत करें
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