आ गया जून ,आशा का संदेश लेकर
अब तो मानसून आएगा
रिमझिम - रिमझिम फुहारे पडेगी
मन शीतल और आंनदित होगा
कब से तप रहे हैं लोग और इंतजार कर रहे तुम्हारा
गर्मी से परेशान हर कोई
क्या मानव ,क्या जीव- जंतु ,क्या पशु- पक्षी या पेड- पालव या फिर तपती धरती
हर कोई सूर्यदेव की तपन से परेशान
अब वे रास नहीं आ रहे हैं
अब तो इन्द्रदेव की कृपा चाहिए
समय की यही मॉग है
मौसम बदलता है और मन भी बदलता है
आज जिसकी जरूरत है ,कल नहीं होगी
प्रकृति का नियम है
सर्द दिनों में जिस सूर्य की प्रतीक्षा की जाती है
गर्मी में उन्हीं से दूर रहा जाता है
आज बरखा रानी के स्वागत में ऑखे बिछाये लोग बैठे है ,न जाने क्या - क्या कर
कभी विधि- अनुष्ठान तो कभी टोना- टोटका
ये भी आएगे और फिर बरस कर अगले साल तक आने तक चले जाएगे
जब जरूरत होती है तब महत्तव भी भासता है
खैर शिक्षण संस्थान खुलेंगे
बच्चे छुट्टी के बाद फिर से पाठशाला जाएगे
कुछ तो अभी पहला कदम ही रखेंगे
शिक्षा की नींव डाली जाएगी
युवा अपने भविष्य के हिसाब से क्या करना है
उसका चुनाव करेंगे
बच्चों के साथ - साथ
माता - पिता भी व्यस्त
बच्चों का भविष्य जो सुनिश्चत करना है.
सब कुएं ,तलाब ,नदियॉ तुम्हारी राह देख रहे हैं.
क्योंकि सबकी खुशियों की शुरूवात तुमसे होनी है
तुम्हारा स्वागत है जूून आओ -आओ
और अपने साथ अच्छे दिन भी लाओ
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