इन दोनों का हर जगह बसेरा
मानव बस्ती के पक्षी है ये
सुबह- सुबह एक की कॉव- कॉव तो दूसरे की गुटरगूं
कौआ तो भगाने पर उड जाता है पर कबूतर तो इतने जिद्दी कि उडने का नाम ही नहीं लेते
कौवे का सम्मान केवल श्राद्ध के समय
बाकी दिनों बचा- खुचा ,रूखी- सुखी ,बासी भोजन
कबूतर के लिए तो चने और गेहूं
उनके लिए कबूतरखाना
कौए का बसेरा ही नहीं
क्यों इतना भेद???
कौआ गंदगी साफ करता है
जबकि कबूतर बीट पर बीट कर गंदगी फैलाता
कौआ तो एक दो पल कॉव- कॉव कर उड जाता
जबकि कबूतर का गुटरगूं बंद ही नहीं होता
पर कबूतर का सम्मान क्योंकि उसको खिलाने से लक्षमी प्रसन्न हो कर आती है
और लक्षमी का अपमान कौन करेगा
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