आंतकवादी का कोई धर्म नहीं
जब भी हिंसा का तांडव होता है
सफाई आनी शुरू हो जाती है धर्म गुरूओं की
अगर उसका कोई धर्म नहीं तो
क्यों उसके गिरफ्तार होने पर या फॉसी चढने पर
लोगों का प्रर्दशन करना
तोडफोड करना ,जान- माल की हानि करना
उसके जनाजे में बढ-चढकर हिस्सा लेना
मानो कोई इंसानियत का मसीहा दुनियॉ से रूखसत हो रहा हो
क्यों नहीं उसका बहिष्कार किया जाता
वह तो नहीं देखता कि मरने वाला कौन है??
आंतक का कहर तो सामान्य और भोले-भाले नागरिक पर बरसता है
वह शिकार होते हैं हिंसा के
खून- खराबा और हत्या यह तो किसी भी धर्म में नहीं लिखा है
हर धर्म शॉति और अहिंसा चाहता है
पर आज तक पूरे संसार में सबसे ज्यादा नर संहार धर्म के नाम पर ही हुआ है
और हो भी रहा है
धर्म के नाम पर मानवता की हत्या
तब तो यही लगता है कि आंतकवादियों का ही धर्म होता है
अगर ऐसा नहीं तो फिर उनका पक्ष लेना गलत है
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