Saturday, 20 August 2016

आओ त्योहार मनाए - ढम ढमा ढम

ढम ढमा ढम बजने दो 
ढोल- तासो का शोर होने दो
बम ,फटाके ,फूलझडियॉ फूटने दो
शोर- शराबा होने दो
कानफोडू लाउडस्पीकर बजने दो
कोई फर्क नहीं पडता
इससे किसको होती है तकलीफ
बीमार हो या बूढा या फिर छोटा बच्चा
बच्चे पढे या न पढे हम तो त्योहार मनाएगे
कोई मरता है तो मरे हम तो बाजे बजाएगे
हल्ला - मस्ती ,धमाल करेंगे
कानून की धज्जियॉ उडाएगे
पुलिस की तो कुछ बात न हम मानेगे
हम तो स्वतंत्र देश के नागरिक है
जो चाहे सो करेंगे
त्योहार मनाना और वह भी इतनी धूमधाम से
हमारा कर्तव्य बनता है
शराब पीकर नाचना और हुडदंग मचाना तो बनता है
त्योहार तो रोज- रोज नहीं आते
भगवान के नाम पर चंदा वसुलना
फिर अपना पेट और अपनी जेब भरना
यह मौका कैसे छोडे
काम करने की क्या जरूरत
साल भर का इंतजाम तो हो जाता है
भगवान आते हैं और यह सब देकर जाते है
हमारा इंतजाम करके जाते हैं
और क्या चाहिए??
पेट भरे ,मौज- मस्ती करे
और जोरदार ढंग से त्योहार मनाए

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