इतनी सुंदर सृष्टि का निर्माण ,दिया मानव को कुदरत
का उपहार
फिर क्यों हो रहा चारों तरफ हाहाकार
क्यों लोगों में विनाश का फितूर सवार
क्यों बढ रही अंशाति और खत्म हो रहा भाईचारा
मासूमों से हो रहा दूराचार ,बढ रहा हत्या और अत्याचार
इंसानियत हो रही शर्मसार
नैतिकता खत्म हो रही ,बढ रहा व्यापार
रिश्ते- नाते ,दोस्ती में बढ रहा दुराव
क्या अपना क्या पराया ,क्या जाति क्या धर्म
सबका बिगड गया है हाल
बाबाओं का बढता मायाजाल
उसमें जकड रहा आम इंसान
जहॉ देखो वहॉ बवाल ही बवाल
हर बात बन गई जी का जंजाल
दिखता नहीं इस पर कोई उपाय
सब बेबस ,लाचार ,क्या जनता क्या सरकार
ईश्वर का यह वरदान ,मिटाने पर क्यों तुला इंसान
सृष्टि की सुंदरता और मानवता की हत्या
किसका हो रहा भारी पलडा
बंदूक का साया या पेडों की छाया
किसका करें चुनाव
हिंसा ,आंतक ,खून- खराबा
देखकर हो गया लाचार
अब तो शक्ति भी दे रही जवाब
कुछ तो करो भगवान
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