सात समुन्दर पार से आई एक खूबसूरत परी
वह और कोई नहीं हमारी मदर टेरेसा थी
एक बार आई तो यही की हो रह गई
फिर वापस कभी नहीं गई
कुष्ठ रोगियों और गरीबों की पीडा न देख सकी
वह मॉ बन गई सबकी
सेवा के पथ पर चल पडी
कोलकाता की झोपडपट्टी से शुरू हुआ सफर
आजीवन चलता रहा
अपना जीवन दीन- असहायों को समर्पण कर देना
किसी एक बच्चे की मॉ नहीं वह सारे भारत की मॉ बन गई
बहुत कुछ विवाद भी हुए उनके नाम से
धर्म प्रचार का आरोप लगाया गया
पर सारे आरोपों को धता बता वह सेवा कार्य में लगी रही
उनकी सेवा के आगे कोई न टिक सका
भारत माता की वे असली बेटी बन गई
तिरंगे में लपेट कर उनको अंतिम बिदाई दी गई
ऐसा समर्पित जीवन और सादा बिरले ही मिलेगे
सफेद साडी ,नीले पट्टे वाली यह उनकी पोशाक थी
लगता है कि नीले आसमान ने अपनी इस सफेद परी को धरती पर भेजा हो
सौभ्यता और चेहरे पर मुस्कराहट बरकरार रखने वाली
मदर हमारे बीच नहीं है
पर उनके अमूल्य योगदान को सदियों तक याद रखा जाएगा
उनको संत की उपाधि देने की तैयारी चल रही है
वास्तव में वह एक महान संत ही थी
जिन्होंने सब कुछ
अपना घर ,देश ,सारी इच्छाओं का त्याग कर जीवन मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया
वे भारत की न होकर भी यही को हो रह गई
और देश ने उनके कार्यों को सराहा ,सम्मान भी दिया
वे भारत रत्न भी बनी
आज भी वे हमारी है तथा हम पूरे सम्मान के साथ उनके जन्मदिन पर उन्हें याद कर रहे हैं
देश की बेटी और मानवता की देवी को प्रणाम
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