भगवान के नाम पर व्यापार
लाखो- करोडो की कमाई
चंदा वसुलना और मौज- मजा करना
साल भर का इंतजाम
नौकरी और मेहनत की क्या जरूरत
जब ऐसे ही पैसे मिल जाय
हर घर - मुहल्ले और गली.
सब जगह चंदा वसुलना
एक तो सामान्य आदमी पर मंहगाई की मार
ऊपर से आ जाए चंदे की मांग
अगर रहना है तो चंदा देना ही है
चंदा भी पॉच- दस नहीं
कम से कम सौ से ऊपर ही
सब जगह मंहगाई पर मार
तो भगवान पर क्यों नहीं
गरीब के घर रोटी न बने ,कोई बात नहीं
पर लाउड स्पीकर जरूर बजेगा
भक्तों की भीड बढती ही जा रही है
भगवान के दर पर
एक के बाद एक त्योहार आ रहे हैं
चंदे का भी इंतजाम करना है
किताब - कॉपी का भले न हो
दानदाता भी पीछे नहीं है
चढावे की भी भरमार है
कौन सा भगवान कितना मंहगा
यह तय तो करता है चढावा
भगवान किससे प्रसन्न होगे
चांदी ,सोना या रूपयों से.
या भक्ति और श्रद्धा से...
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment