Saturday, 1 October 2016

आंतकवाद और रिश्ता - साथ नहीं चल सकते

उरी में १९ जवानों की जान जाना
बिना कारण रक्त का बहना
और यह पहली बार नहीं है
हर बार सीमा पर बमबारी होती रहती है
जवानों के साथ जान- माल की हानि होती है
आंतकवादी और कलाकार अलग- अलग है
सही भी है पर यहॉ आकर जो नाम और पैसा कमाते हैं
उनका कोई फर्ज नहीं बनता
क्यों नहीं वे विरोध में बोलते
अभिव्यक्ति की आजादी तो है ना
हमारे कलाकार बोल सकते हैं उनके पक्ष में पर वे नहीं
कब तक क्रिकेट खेलेगे
कब तक उनके कलाकार यहॉ आकर अपनी कला दिखाएगे
पाकिस्तान तो आंतकवाद को शरण देता है
पालता- पोसता है और हमले करता है
कब तक भारत सहन करता रहेगा
इस समय भारत ने जवाब दिया है वह सही है
संयम की भी एक सीमा होती है.
अब भी उसे समझना चाहिए कि भारत कमजोर नहीं है
वह भी जवाब दे सकता है
पर पडोसी धर्म निबाहता है
सांस्कृतिक संबंध को सहेजे रखने की कोशिश करता है
मानवता की रक्षा करता है
मित्रता का सम्मान  कायम रखने की कोशिश करता है
उरी हमले के बाद प्रधानमंत्री पर कितना दवाब था
हर देशवासी गुस्से में था
और यह हर बार होता है
जब सैनिकों के सर कटते हैं या जान जाती है
पर सरकार समझौते का प्रयास करती है
पाकिस्तान के हुक्मरानों और सामान्य जनता को यह समझना होगा
युद्ध तो किसी भी हाल में अच्छा नहीं होता
क्यों नहीं वे अपनी सरकार पर दवाब डालते
युद्ध का तांडव और स्टेज पर नृत्य एक साथ तो नहीं चल सकता.
शॉति चाहिए मनोरंजन के लिए
जान जाती रहे और कलाकार मनोरंजन करे
यह कैसे संभव है
आक्रोश तो स्वाभाविक है
पाकिस्तान के कलाकारों का योगदान है
हमारी फिल्में भी वहॉ खूब चलती है
हमारे कलाकार वहॉ लोकप्रिय है
पर फिर भी देश की आन- बान और शान से बडा तो कुछ भी नहीं..
तुम मारते रहो और हम हाथ जोडते रहे
तुम बम फेकों और हम फूलों का गुलदस्ता दे
तुम रक्त बहाओ और हम प्यास बुझाए
हम समझौता एक्सप्रेस चलाए और तुम गोली चलाओ
बस बहुत हो चुका
एकतरफा प्यार और दोस्ती
हाथ दोनों तरफ से बढे
दिल दोनों तरफ से मिले
नहीं तो बम और गोली का जवाब तो बम और गोली ही होगा
फिर वह उत्तर का प्रत्युत्तर हो या हमारी मजबूरी हो
पर हमारे धीरज की और परीक्षा न ली जाय
बुद्ध और गॉधी का देश है
जहॉ शिवजी को भोलापन तो है साथ में तीसरा नेत्र भी है
जिसके पास भस्म करने की भी शक्ति है
चेत जाओ नहीं तो आने वाला कल किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा

No comments:

Post a Comment