आज पूरे विश्व में पशु दिवस मनाया जाता है
पशुओं के अधिकारों के प्रति सजग किया जाता है
हिंदू घर्म में पशुओं और दूसरे जीव- जंतुओं का सम्मान करने की प्रथा प्रचीन काल से चली आ रही है
विष्णु का कच्छप और मतस्य अवतार
शिवजी का नंदी
मॉ दुर्गा की सवारी शेर
इसके अलावा गरूड ,मोर ,नाग ,हंस ,मूषक ऐसे न जाने कितने जीव हमारे ईश्वर से जुडे हुए हैं
लक्षमी जी का वाहन उल्लू और शिव के गले की शोभा बढाने वाले सॉप की भी पूजा करते हैं
कौए को तो पितृ पक्ष में सुस्वाद भोजन दिया ही जाता है
कुत्ते को तो रोटी दी ही जाती है
बिल्ली को नहीं मारना है नहीं तो नरक का भागी बनेगे
गाय माता तो पूजनीय है ही
चौतीस करोड देवी- देवताओं का वास है उनमें
हाथी को तो शुभ ही माना जाता है और ऐश्वर्य का प्रतीक है
अश्व को तो जीवन से ही जोड दिया गया था
यहॉ तक कि गर्दभ को भी सम्मान दिया गया था
हर जीव को जीने का हक है
वह उसे मिलना ही चाहिए
आज मनुष्य जंगल काट रहा है.
उनको बेघर कर रहा है
विज्ञान के कारण पशुओं की जगह मशीनरी ने ले ली है
पहले हर घर में गाय- बैल ,बकरी ,मुर्गा ,कुत्ता और बिल्ली का डेरा तो रहता ही था
वह भी घर के सदस्य की तरह ही थे
उनके लिए भी रोटी में भागीदारी होती थी
शहरीकरण के कारण भी इनका महत्व कम हो रहा है
आज गौरयॉ की ची- ची नहीं सुनाई पड रही
हमको यह सोचने की जरुरत है कि अगर ये प्राणी न रहे तो जीवन कितना नीरस हो जाएगा
पशु केवल कहानियों में ही रह जाएगे
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