मॉ को यह कहकर छोड आया था बेटा
कुछ दिन की बात है यही रह लो
बाद में मैं ले जाऊँगा
यह घर छोटा पड रहा है
बच्चों की पढाई पर असर पड रहा है
बडा घर लेनेवाला हूँ
तब तुमको ले जाऊंगा
मॉ ,बेटे की परेशानी समझ गई
आशिर्वाद भी दिया
और बेटा छोड आया वृद्धाश्रम में
वहॉ उसके जैसे ही लोग ,हालात के मारे
पर मॉ गलतफहमी में थी
उसका बेटा ऐसा नहीं है ,वह उसे जरूर ले जाएंगा
लोग हँसते ,व्यंग करते
बुढापे में सठियॉ गई है बुढियॉ
पर मॉ को तो विश्वास था
रोज राह देखती
दिन ,सप्ताह ,साल गुजरते गए
बूढी ऑखें पथराने लगी पर आशा नहीं छोडी
मॉ जो थी बेटे पर अविश्वास कैसे कर सकती थी
पर मन में शंका भी उठने लगी
क्या सचमुच मेरा लल्ला ऐसा कर सकता है
आज अचानक बेटा आते दिखा
मॉ की खुशी का ठिकाना नहीं
अपना सामान समेटने लगी
मॉ ,घर चलो ,मैं तुम्हें लेने आया हूँ
मॉ चल पडी बेटे के संग
आने पर बेटे ने मॉ के नाम पर बैंक में पैसा भी डाला
वह भी हजार दो हजार नहीं ,लाखों रूपये
मॉ खुश ,ऐसा बेटा कहॉ मिलेेगा???
पर बेटा तो कुछ और ही सोच रहा था
और कितना पैसा डाल सकता हूँ
टेक्स बचा सकता हूँ
इससे विपरीत मॉ सोच रही थी
मेरे अच्छे दिन आ गए
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment