डॉक्टरों की मनमानी जगजाहिर है
अभी की यह खबर दिखाई जा रही है कि डॉक्टर मोबाईल पर गेम खेल रहे थे
मरिज की मृत्यु हो गई पर वे नहीं पसीजे
सरकारी अस्पताल के साथ- साथ प्राइवेट अस्पताल और क्लीनिक में भी उनकी मनमानी चलती है
लोग लाचार होते हैं
डॉक्टर उनके लिए भगवान होता है
ठीक भी तो है भगवान के बाद अगर दूसरा कोई बचाने वाला है तो वह भगवान है
पर इस भगवान को इतना गर्व होता है कि वह अपने आगे किसी को समझता नहीं
वे यह भूल जाते हैं कि जनता के टेक्स पर ही सरकार उनकी पढाई पर खर्च करती है
तो यह जवाबदेही उनकी भी बनती है
पर वे अपने पेशे को रूपया छापने की मशीन मान बैठे हैं
उनके क्लीनिक में कितना मरिजों से पैसा लेते हैं
उसका न कोई हिसाब न रसीद
इसके अलावा केमिस्ट
पैथालॉजी तथा और भी चिकित्सा से जुडे जैसे
एक्सरे इत्यादि से भी कमीशन
अगर पुलिस से यह अपेक्षा की जा सकती है कि वह दिन- रात काम पर हाजिर रहे
रिश्वत न ले
तो दूसरे विभागों पर भी नकेल कसनी जरूरी है
इसमें से एक डॉक्टरी पेशा भी है
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