बगिया में एक गुडहल का फूल खिला था
सूर्ख लाल रंग ,सबके आकर्षण का केन्द्र
ललचाई दृष्टि ,मन में तोडने की ईच्छा
अचानक वृद्ध माताजी का आगमन
देखा ,तोडा और ऑचल में रखा
दो- चार कली भी तोड ली
माली के कहने पर उत्तर
भगवान को चढाना है ,पूजा करना है
इन कलियों को पानी में रख दूंगी
खिल जाएगी सुबह तक
वह लाल फूल शायद किसी की दृष्टि से बच गया था
तभी वह आज अपने पूरे शबाब पर खिला था
कली को अगर खिलने ही न दिया जाय
तो उसका सौंदर्य कैसे रह पाएगा
ईश्वर की रचना को खिलने दिया जाय
महकने दिया जाय
तभी ईश्वर भी प्रसन्न होगे
चरणों में अर्पण की अपेक्षा डाल पर खिला रहने में ही ईश्वर की प्रसन्नता होगी
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