मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है
यह तो सर्वविदित है
बच्चा - बच्चा जानता है
पर क्यों है यह आज पता चला
एक जज ने बताया कि मोर ब्रहचारी है
वह मोरनी के साथ सहवास नहीं करता
जबकि उसके ऑखों से ऑसू निकलते हैं उसे पीकर मोरनी गर्भवती हो जाती है
अब जज साहब को यह बताने की जरूरत क्सा पड गई
कहावत है - जंगल में मोर नाचा किसने देखा
मोर को तो देख पाना दुर्लभ है तो उसके ऑसू कहॉ से दिखेगे
हॉ मोरपंख को बाजार नें बिकते हुए जरूर देखा है
बात गौ माता की हो रही है
उन्हें राष्ट्रीय पशु बनाने की मांग चल रही है
राष्ट्रीय पशु घोषित हो या न हो
इससे हमें कोई फर्क नही पडता
वे तो हमारे दिलों में विराजमान है
हमारे तैतीस करोड देवी - देवताओ का वास उनमें माना जाता है
अगर पशु की नजर से भी देखे तो दूध से लेकर गोबर और मूत्र तक उपयोगी है
उनको माता की उपमा दी गई है
जन्मदात्री ,नदी और गाय
इनको ही हम मॉ कहते हैं
यह तो जीवनदायिनी है
भगवान कृष्ण के सर पर मोरमुकुट और साथ में गैया को तो हम देखते ही हैं
गऊ माता की बराबरी तो कोई नहीं सकता
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