हमारी स्टाफ पिकनिक जा रही थी
सात बजे पहुंचना था , घडी में पॉच बजे का अर्लाम लगा कर रखा
सुबह एक घंटे जल्दी जो उठना था
रात में बराबर नींद भी नहीं आई ,कही जाना होता है तो अमूनन यह सानान्य बात है
सुबह कुछ काम निपटा कर ,कुछ अधूरा छोडकर ट्रेन पकडकर पहुंची तो पता चला कि केवल दो - चार लोग ही आए थे
बाकी सब धीरे - धीरे आ रहे थे
एक नई लडकी जिसने दो साल पहले ही ज्वाइन किया था , घर पर ही थी अभी तक
अपनी दोस्त से पूछ रही थी ,बस आई कि नहीं
मुझे आश्चर्य हुआ
बीस मिनट बाद वह हँसते - मुस्कराते आई
गुड मार्निग किया
मुझसे पूछा तो मैंने कहा मैं तो सात में दस मिनट कम थे तब ही आ गई
तो हँसकर बोली , इतना टेंशन नहीं लेना है
सबको लिए बिना बस जाएगी नहीं
मैं अवाक देखती रह गई
कही मैं तो गलत नहीं
लोग आराम से आठ बजे तक आए , कुछ को छोडकर
पर एहसास हुआ कि हम गलत नहीं
यह लेटलतीफ हम लोगों की वजह से बच जाते हैं
जिस दिन सब यह सोचेगे
बवाल हो जाएगा
इनको देखकर अपनी वर्षों की सही आदत को बदलना नहीं है
बचपन से सही वक्त का पालन करने की नींव जो माता- पिता ने डाली थी ,उसको छोडना नहीं है
जब कभी एकाध बार ऐसा करने की कोशिश की तो नुकसान ही उठाना पडा है
कभी भी गलत और गलत लोगों का अनुकरण नहीं करना है
जीवन ,जीने का स्वयं का अपना - अपना सिंद्धात होता है
उनकी बलि नहीं देनी है
समय का पालन करना जरूरी है
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