आज वह चली गई , हमेशा के लिए अलविदा कहकर
इतने वर्षों का संग , जीवनसंगिनी मेरी
विपत्ति और संघर्षों का सामना
सुख - दुख ,हँसी - खुशी के लम्हे
दो शरीर पर एक आत्मा
रिश्तेदार , परिवार ,घर और बच्चे
सब है पर घरनी ही नहीं तो घर है सूना - सूना
सब सहारा बनने को तैयार
पर उसके बिना़़़़़़
वह नहीं तो कुछ भी नहीं
शरीर तो नश्वर है पर याद नहीं
यादों का खजाना जो है पास
यादों में तो उसे याद रखना है
अपनी सहधर्मिणी ,सहचारिणी और जीवनसंगिनी को
बच्चों की सूरत में ,पोते- पोती की मुस्कराहटों में
घऱ - दीवार पर छोडे छापों में
उसकी अहसासों में
आसपास ही उसकी उपस्थिती का एहसास करूंगा
शेष जीवन तो उसके साथ ही रहेगा
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ,परोक्ष या अपरोक्ष
हर बार तो तुमको जाने से रोक लेता था
इस बार नहीं रोक पाया
ईश्वर की मर्जी जो थी
खैर तुम आस मत छोडना
रात को चॉद के साथ तुम ऊपर से देखना
मैं नीचे से निहारूगा
जीवन कट ही जाएगा
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