जब तक विरोधी पार्टी में थे
विरोध का स्वर गूंजता रहा
आज दूसरी पार्टी में शामिल हो लिए
महान बन गए
उनकी खूबियॉ गिनाई जाने लगी
जिसका पलडा भारी
जिसके हाथ में सत्ता
उसकी तरफ हो जाओ
काम एक पार्टी में रहकर किया
परिणाम फल दूसरी पार्टी को मिला
आजकल यह आम बात हो गई है
नेताओं में निष्ठा और विश्वास का अभाव
अब बमुश्किल अटल जैसे नेता मिलेगे
दो सीट पर भी पार्टी के निष्ठावान बने रहे
समष्टिवाद से व्यक्ति वाद हो गया है
पहले पार्टी के नाम पर वोट मिलते थे
आज पार्टियॉ ही अपना असतित्व बचाने मे असमर्थ है
तमाम छोटी - छोटी पार्टियॉ बन गई है
कांग्रेस मुक्त भारत का सपना घातक भी है
विपक्ष ही नहीं रहा तो प्रजातंत्र कैसे रहेगा?!
शासक निरकुंश हो जाएगे
सत्ता का नशा सर चढकर बोलेगा
विवादित बयान दिया जाएगा
मजाक उडाया जाएगा
नीचा दिखाया जाएगा
सत्ता और पैसों का लालच
गिरगिट की तरह रंग बदलना
सुर बदल जाना
यही तो हो रहा है
कब कौन पार्टी छोडे
सत्ता धारी पार्टी में शामिल हो
कहा नहीं जा सकता
पल भर में पहचान ही बदल गई
यह तो राजनीति का सबसे बडा खेल है
पर यह गेम खतरनाक भी है
ऐसा न हो कि कहीं का न रहे
अतीत इसका गवाह है
पार्टी में लोकतंत्र हो पर नियम भी हो
कठोर और अनुशासन वाला
दूसरी पार्टी भी शामिल करने में हिचकिचाए
सत्ता के लालच में नेता दलबदलू न बने
जो अपनी पार्टी और लोगों का न हुआ
वह जनता का क्या होगा ???
उसे तो केवल सत्ता चाहिए
चाहे कुछ भी करना पडे.
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