मैं तो भिखारी हूं
भीख मांगना मेरी मजबूरी समझो या मेरा पेशा
पर मैं अपना यह काम पूरी निष्ठा और लगन से करता हूँ
लोगों के आगे हाथ जोडता हूं , गिडगिडाता हूं
कोई देता है कोई नहीं देता
कभी - कभी देते तो कुछ नहीं कोसते जरूर है
हाथ - पैर सही - सलामत होने पर भी भीख
कभी - कभी तो गालियॉ भी मिलती है
पर मेरा सर हमेशा झुका , मुख से आशिर्वाद
घृणा करने वालों से भी , कृपा करने वालों से भी
मैं चोरी नहीं करता , डाका नहीं डालता
अपराधी भी नहीं , किसी को धोखा नहीं देता
बस मांगता हूं पेट भरने के लिए
अगर मेरे पास भी सब कुछ होता तो यह काम नहीं करता
हाथ फैलाना किसे अच्छा लगता है
ईश्वर किसी को भी यह जीवन न दे
हाथ हमेशा देनेवाला बनाए , मांगने वाला नहीं
आप लोग को हमारी अहमियत नहीं लगती
पर हमारी हर दुआ आपको लगती है
जब मांगनेवाला ही न होगा तो देनेवाला किसे देगा??
हर त्योहार , पूजा - पाठ ,उत्सव पर हमें ढूढा जाता है
परमार्थ बटोरने के लिए
अपने जनम को सार्थक करने के लिए
दान देकर पुण्य कमाने के लिए
बहुत से लोग आपके सामने हाथ जोडते हैं
वोट मांगने के लिए नेतागण भी
पर वे बाद में आप पर हुकुम चलाते हैं
आपके कारण संपत्तिशाली बन जाते हैं
कहॉ से कहॉ पहुंच जाते हैं
पर हम तो वही जमीन पर सालो - साल आपके सामने हाथ फैलाते
दुआ देते फिर भी आप हमें भिखारी कहते हैं
एक - दो रूपयों में ही हजारों - लाखों का आशिर्वाद दे देते हैं
इतने सस्ते में आप कौन - सी चीज खरिद पाएगे??
अब तो आपको मेरी अहमियत का पता चल गया होगा
हमें भी इंसान समझिए
भिखारी है लुटेरे नहीं.
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