एक आदमी था , गजब का आलसी
हमेशा अभाव का रोना तथा ईश्वर को कोसना
एक बार ईश्वर भेष बदलकर आए
पूछा क्या कमी है
जवाब ईश्वर ने बहुत अन्याय किया है मेरे साथ
लोगों को न जाने क्या - क्या दिया है
बंगला , कार ,पैसा , शोहरत सब कुछ
अच्छा ऐसा करो यह अपनी ऑखें मुझे दे दो
तुम्हें लाख रूपए दूंगा
अरे तो मैं देखूगा कैसे , नहीं - नहीं मैं नहीं दूंगा
तो फिर ऐसा करो अपने पैर दे दो
तब भी उत्तर नहीं मिला
ऐसे करके एक - एक अंग की बोली लगाई
पर वह व्यक्ति माना नहीं
अंत में कहा - अपना हाथ दे दो
यह तो कदापि नहीं दे सकता
हाथ नहीं रहा तो मैं बेकार हो जाऊंगा
तब तो तुम्हारे पास करोडो का शरीर है
किडनी से लेकर ऑखें तक
तब भी तुम कहते फिरते हो
ईश्वर ने कुछ नहीं दिया
अब तक वह समझ चुका था , गलती का एहसास हो गया था
पूर्ण शरीर तथा हर अंग सही - सलामत
इससे ज्यादा ईश्वर का क्या उपकार होगा
अच्छा स्वास्थ्य रहे , यह नियामत क्या कम है
कर्म करे ,भाग्य को न कोसे
जीवन को सार्थक जीए
इतना मूल्यवान जीवन है , उसे ऐसे ही नहीं गवाना है
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