गर्मी का मौसम
सूर्यदेव पूरे शबाब पर
दोपहरी क्या सुबह से ही गर्म हवा के थपेड़े
सबकी शामत
बाहर निकलना मुश्किल
सब बेहाल
पसीने से तरबतर
पानी का भी पडा अकाल
नदी - नाले सूख रहे
लोग बीमार पड रहे
ठंड की आ रही याद
कूलर - ए सी चल रहे लगातार
इनको भी नहीं मिल रहा आराम
लस्सी.- शरबत की तो बल्ले -बल्ले
पेड़ की कीमत पता चल रही
सडक पर खडा सहारा बना
बेघरबार और गरीब का
अपनी छाया बिना मूल्य दे रहा
कुछ तो रहम करो
अगन और तपन कम कर राहत दो
तपती धरती ,लावा उगल रही
तपता आकाश , आग बरसा रहा
बीच मे परेशान जीव
सबकी आस तुम पर
दया दिखाओ
तपन भगाओ
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