दादी टेलीविजन देख रही
बाबा प्रवचन सुना रहे
भक्त लीन हो रहे
रो रहे ,हँस रहे , ताली बजा रहे
बाबा सबकी खिल्ली उड़ा रहे
नयी पीढी को कोस रहे
कपडों को लेकर
चालचलन को लेकर
सतयुग मे जाने की बात कर
पर यह बाबा बने कैसे ???
यह भी तो भक्तों की कृपा
इस आसन पर बैठाने वाले कौन ???
अपने गिरेबान मे झांके
ईश्वर पर विश्वास नहीं क्या ??
इन्हें ईश्वर मान लिया
ये तथाकथित गुरु
भगवान बन बैठे
अनपढ नहीं पढे - लिखे लोग भी
नेता -अभिनेता भी
डाँक्टर -इंजीनियर भी
उधोगपति की तो बात ही छोड दे
सब अपना लाभ देख रहे
विदेशी शांति की तलाश मे
बाबा भी भांप गए
उल्लू बनाया
अपनी रोटी सेकी
काम -वासना से दूर बोलने वाले
खुद दलदल मे फंसे हुए
ऊपर से आलम यह
लोग अब भी इन पांखडियो पर विश्वास कर रहे
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment