नहीं रहे विश्वास ही नहीं होता
एक बहादुर पुलिस आँफिसर
एक आकर्षक व्यक्तित्व
सुंदर देहयष्टि , सांचे मे ढला हुआ
बडे -बडे मामलों को सुलझाने वाला
जुझारू स्वभाव
अपराधियों , आंतकवादियो को चित्त करनेवाले ने
जीवन से हार मान ली
इतनी निराशा कि आत्महत्या जैैसा कदम उठा लिया
अपराधियों से जूझने वाले जिंदगी से नहीं जूझ पाए
रिवाल्वर अपनी ही कनपटी पर तान ली
अपराधियों को मार गिराना था
अपने को समाप्त कर दिया
कर्क रोग ने ग्रस लिया
एक हंसते -मुस्कुराते बहादुर इंसान को
बहुत लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने मात दिया
इस जानलेवा बीमारी को
फिर इन्होंने क्यों नहीं???
यह प्रश्न है सबके समक्ष
यह हानि उनके परिवार की नहीं
पूरे देश की है
एक काबिल आँफिसर को लोगों ने खोया है
दुख है बहुत
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे
अगला जन्म बिना बीमारी के मिले
ऐसे लोगों की बहुत जरूरत है
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