गर्भ से बची
बलात्कारियों के हत्थे चढ़ी
बेटी सुरक्षित नहीं
घर ,बाहर ,समाज
दिन पर दिन
दिल दहला देने वाली घटनाओं मे बढ़ोतरी
एक अभी भूली नहीं
दूसरी घटना घटित
राजनीति भी हो रही
धर्म से जोड़कर देखना
बेटी ,बेटी है
वह किसी भी धर्म की हो
रक्षा की जिम्मेदारी है सबकी
देश की बेटी है
उसका अपमान सबका अपमान
सर से शर्म झुक रहा
इतनी हैवानियत कहाँ से आ रही
क्यों बढ़ रहे नराधमों के मनोबल
इनकी तह मे जाना है
इनको वह दंड मिले
कि दूसरों को भी सबक मिले
सरकार ,समाज सबकी जिम्मेदारी बनती है
बेटी न बचेगी
समाज कैसे बचेगा
आसिफा को अभी भूले भी नहीं
तब तक मंदसौर मे यह घटना
निर्भया को तो ऐसे ही मारा जा रहा
उसे या तो मार डाला जा.रहा
या मरने की हालत मे छोड़ दिया जा रहा
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