हम आए है अकेले
जाना भी अकेले
आने मे भी हमारी मरजी नहीं
जाने मे भी हमेशा इच्छा नहीं
कहाँ जन्म लेना
किसके घर लेना
किस शहर मे लेना
परवरिश कैसी होगी
यह तो हमें नहीं पता
पर हम क्या करते हैं
यह भलीभांति पता है
क्या करना है ,यह भी
पर दोष देने मे हम पीछे नहीं रहते
चाहे माँ -बाप हो या ईश्वर
स्वयं को नहीं देते
यह भूल जाते हैं
कर्मों के उत्तरदायी हम ही है
कर्म साथ चलता है
इसका चुनाव भी हमारा
इसमें किसी की भागीदारी नहीं
परिणाम भी हमें ही मिलना है
संसार मे रहना है
तो अपनी पहचान बनाना है
किसी की दी हुई नहीं
क्योंकि उसकी उम्र नहीं होती
अपने सामर्थ्य पर भरोसा करना है
संसार मे आए तो जीना भी सीखना है
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