कितना बडा अभिशाप
समाज पर ग्रहण की तरह
पढने - लिखने से विचारधारा बदल जाती
सही है अब तो ज्यादा सर्तकता आ गई
अपना मोल समझ आ गया
जितनी कीमत वैसा वर
जिसके बस की बात हो खरिदे
हैसियत का पता चलता
योग्यता का क्या है
पैसा ही बोलता है
गरीब की बेटी की क्या औकात
दिखावा बढ़ता जा रहा
जितना ऊंचा दहेज
उतनी ही समाज मे इज्जतदार
कब बदलाव आएगा
कब मानसिकता बदलेगी समाज की
दहेज लेने वाला ही दोषी
समाज नहीं क्या??
सरकार क्या कर लेगी
कानून तो दूर खडा तमाशा देखता है
सब जान -सुनकर भी अंजान
क्योंकि उनके बंदे भी यही करते हैं
अपनी लाडली का जीवन सुखी बनाने के लिए
यह सौदा उसे मंहगा नहीं लगता .
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