Saturday, 4 August 2018

पल पल सियासत

कण कण मे भगवान है
ईश्वर की जन्मभूमि है
आस्था का जुडाव है
ऐसा अपना देश है
साथ ही यहाँ
पल पल पर सियासत भी है
राजनीति का गढ़ है यह
चाणक्य से तो हर.कोई परिचित
सुदर्शन चक्र धारी पूजनीय
राम और कृष्ण से बडा राजनीतीज्ञ
कोई नहीं मिल सकता
तो राजनीति तो विरासत में
आस्था और राजनीति का संगम
नया नहीं है
आधुनिक भारत मे भी यह हावी रहा है
सत्ता के गलियारों में राजनीति हावी
उस पर धर्म का मुलम्मा चढा
जनता को लुभाना
जनतांत्रिक व्यवस्था को ताक पर रख
जाति और धर्म आधारित राजनीति
यही देश की सबसे बड़ी विडंबना
लोग आगे जा रहे हैं
हम पीछे जा रहे हैं
हम पकड़ कर रख रहे है
इन सबको
योग्यता धक्का खा रही है
आत्महत्या कर रही है
और नेता देख रहे हैं
विवश है शायद
क्योंकि वोटबैंक खोना नहीं चाहते
सत्ता नहीं गंवाना चाहते

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