जुर्म तो जुर्म होता है
फिर वह कोई भी करें
अपराधी का धर्म उसका अपराध ही है
वह हिंदू ,मुस्लिम या ईसाई या फिर कोई और हो
उसका पक्षधर होना
यानि उसको बढ़ावा देना
अगर जुर्म किया है तो सजा तो बनती ही है
वह किसका आदर्श. नहीं हो सकता
सारे पाप कर ले
लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर ले
और फिर उसके प्रति सहानुभूति
वह सुधार गया
इसलिए वह महात्मा हो गया
जुर्म है तो दंड बनता है
धर्म की आड़ लेकर बचाव मे आना
किसी धर्म की बदनामी
वह इस धर्म का है
इसलिए वह ऐसा ही होगा
मजहब नहीं सिखाता
आपस मे बैर रखना
न मारना -काटना
न आंतकवाद फैलाना
न गुंडागर्दी. फैलाना
किसी के धर्म को लेकर
धारणा बनाना
यह तो व्यक्ति का मानव का अपमान
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment