आजकल चर्चा है
वह चायवाला तो वह दलित
तो वह गरीब तो वह पिछडा
यानि नेता बनना हो तो
यह सब होना चाहिए
अगर किसी पैसे वाले
अमीर को नेता बनना हो तो
अगर वह योगदान देना चाहता हो तो
वह सेवक बनना चाहता हो तो
भले ही वह किसान न हो
पर उनके लिए कुछ करना हो
भले ही उसे मूंग मसूर मे अंतर पता न हो
स्वतंत्रता आंदोलन मे एकाध को छोड़ दे
तो सारे संपन्न घर के थे
परिवर्तन किया
जेल गए
उन्होंने तो जेल नहीं देखी थी
वे अपराधी भी नहीं थे
पर उन्होंने सब कुछ सहा
हर नेता ,नेता बनते ही पैसे वाला बन जाता है
गाडी मे घूमता है
सुरक्षा के घेरे मे रहता है
जहाँ वह नेता बना
वह गरीब तो हरगिज नहीं रहता
फिर क्यों उसके बेटे के लिए सीमा
नेता बनने के लिए
किसान ,गरीब ,दलित ,गांव वाला ,चायवाला
की जरुरत नहीं
निस्वार्थ भावना होनी चाहिए।
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