मैं और बस मैं
इसी मे उम्र बीती जा रही
बस जोड़ना और घटाना
जीवन का यह गणित समझते दशकों बीत रहे हैं
पर अभी तक समझ न आया
क्या खोया क्या पाया
बस यही सोचता रह गया
क्या दिया
क्या लिया
यह सोचा तो लगा
बहुत कुछ बाकी है
कुछ लेना है
कुछ देना है
लोगों का प्यार और अपनापन लेना है
और देना है
जब दोगें
तभी तो मिलेगा
सम्मान दोगे तो
वह दोगुना वापस मिलेगा
प्यार परोसें तो
वह भी वापस थाली भर कर मिलेगा
हम तो कमियां निकालते रह जाते हैं
गलतियां ढ़ूंढ़ते रह जाते हैं
और एक दिन इस दूनिया से रुखसत हो जाते हैं
जीवन गणित नहीं है
यह तो मधुर संगीत है
जिसकी ध्वनि हमें सुनना है
महसूस करना है
उसकी हर लय और ताल पर
नाचना ,गाना और झूमना है
थिरकना है
अगर जोरदार आवाज में हो
कभी कभी बेसूरा भी हो
पर गाना तो गाना ही है
उसको तो गाना ही है
आनंद भी लेना है
इस जीवनसंगीत को जी भरकर जीना है
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