चला था सफर पर
कभी धूप कभी छांव
कभी पग मे छाले
कभी चुभन
कही कांटे तो कही फूल
कही निराशा तो कही आशा
कही सफलता
कही असफलता
यह दौर चलता रहा
कभी भागे
कभी थमे
कभी टकराकर गिरे
चोट खाई
फिर उठे
हार नहीं मानी
जिंदगी से हारा नहीं
न उसको ठेंगा दिखाया
जिया जी भर
मैं तो तेरे साथ ही चलूंगा
कितना दौड़ेगी
कितना दौडाएगी
जैसी भी है तू मेरी है
जिंदगी तुझे सलाम
No comments:
Post a Comment