आचरेकर सर इस दूनियां से रुखसत हुए
काफी लंबी और सार्थक जिंदगी जी
अंतिम समय तक मार्ग दर्शन किया
आने वाले को तो जाना ही है
पर वह क्या कर जाता है
यह सोचना है
उन्होंने देश को सचिन तेंदुलकर दिया
जिसे क्रिकेट का भगवान कहा जाता है
न जाने कितने नौनिहालों को क्रिकेट के गुर सिखाए
क्रिकेट खेल रहे बच्चों ने अपना बल्ला उठाकर उन्हें सलामी दी
मास्टर ब्लास्टर उनकी शवयात्रा मे साथ रहे
उनके शिष्यों ने उन्हें कांधा दिया
इससे बड़ी बात क्या होगी
गुरु अपने शिष्यों के कांधे पर सवार अपनी अंतिम यात्रा के लिए प्रस्थान कर रहा हो
उन्हें शासकीय सम्मान जिसके वे हकदार थे
वह नहीं दिया गया
यह बात तो बाद मे ध्यान आई
पर कोई फर्क नहीं पडता
गुरु के लिए उनके शिष्यों की श्रंद्धाजलि मायने रखती है
उनके शिष्यों ने उन्हें नम आँखों से बिदा किया
अब तो सर नहीं रहे
पर अपने शिष्यों को पीछे छोड़ गए हैं
यही उनका अमूल्य योगदान है
वे अपने शिष्यों मे जीवित रहेंगे
उनके बल्ले मे
सर अमर रहेंगे
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