हवा के साथ साथ चले
यह हमें गंवारा नहीं
हवाओं का रूख बदल दे
उसकी दिशा को मोड़ दे
तब तो कोई बात हो
दिन को दिन
रात को रात
सभी कहते हैं
हम अंधेरे मे भी उजाला कर दे
तब तो कोई बात हो
मिट्टी मे फूल खिलते हैं
हम पत्थर मे भी फूल खिला दे
तब तो कोई बात हो
वसंत का मौसम तो सुहावना होता ही है
हम पतझड़ को भी वसंत बना दे
तब तो कोई बात हो
परम्परानुसार तो सभी चलते हैं
हम नयी परम्परा शुरू कर दे
तब तो कोई बात हो
लीक पर तो सभी चलते हैं
भेड़चाल तो आदत मे शुमार है
हम अपनी अलग राह चुने तो कोई बात हो
तूफानों से डरे नहीं
उससे भिड़ जाय
तब तो कोई बात हो
हर क्षण हर पल डरे रहे
निर्णय लेने मे हिचकिचाते रहे
बेपरवाह हो करें
जो होगा वह देख लेंगे
तब तो कोई बात हो
दुनिया क्या कहेगी
लोग क्या कहेंगे
इस किस्से को खत्म करें
तब तो कोई बात हो
मजबूरी को छोड़ मजबूती अपनाएं
जिंदगी को अपने अनुसार बनाए
तब तो कोई बात हो
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