शरीर सुंदर हो
आकर्षक लगे
इसके लिए न जाने कितने जतन
पावडर ,क्रीम से लेकर मेनीक्योर, पेडीक्योर तक
जिम ,योगा ,एक्सरसाइज ,स्वीमिंग ,साइक्लिंग
सब आजमाया जाता है
सुंदर देहयष्टि किसे नहीं अच्छी लगती
इसी शरीर मे एक सुंदर मन भी बसता है
उसका ध्यान नहीं दिया जाता
ईर्ष्या ,द्वेष ,जलन ,कुढ़न उसमें समाया रहता है
बदले की भावना
पीठ पीछे बुराई
कमी ढूढ़ना
कर्कश ध्वनि
झगड़ा -टंटा
यह सब उस समय -समय पर प्रकट होते रहते हैं
मन उसी के इर्दगिर्द घूमता रहता है
अगर उसमें
क्षमा ,करूणा ,दया ,सहनशीलता ,धीरज ,संतोष और वाणी की मिठास भर दे
तब देखे आप कैसे लगते हैं
सुंदर शरीर मे सुंदर मन
यह ईश्वर की बेजोड़ और अनुपम रचना होगी
सोने पर सुहागा होगा
सही भी है न
तन भी सुंदर
मन भी सुंदर
वो कितना सुंदर होगा
इंसान को इंसानियत की खुशबू से महकाए
इत्र और मंहगे सेंट न भी लगाए
कोई फर्क नहीं पड़ता
आपकी एक प्यारी सी मुस्कान ही दिल जीतने के लिए काफी है
एक मीठी प्यारी सी आवाज ही किसी की प्रसन्नता का कारण बन सकती है
स्वस्थ्य और सुंदर शरीर
उसमें बसे सुंदर मन
तब तो बरबस ही बोल उठे सब
वाह । क्या कहने
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