जंगल हमारे सदियों के साथी
हमारा जीवन उन पर निर्भर
आदियुग से आधुनिक युग
हर रुप मे हमारे मददगार
आज वह नष्ट हो रहे हैं
उसके जिम्मेदार तो हम ही
जंगल जीवन देता है
प्रत्युत्तर मे हम उसका जीवन छीन रहे हैं
उसे काट रहे हैं
विकास की भेट चढ़ा रहे हैं
औषधि से ले प्राणवायु तक
जल को सोखता है
बाढ़ से बचाता है
प्रकृति मे संतुलन बनाए रखता है
उसे बचाए रखना हमारी जिम्मेदारी
कहीं ऐसा न हो
उसका असतित्व समाप्त करते -करते
हमारा असतित्व समाप्त हो जाय
स्वार्थवश ही सही
हमारे इस साथी को बचाना है
जंगल को रहने देना है
न जाने कितने जंगली जीवों का घर हैं
अपना घर बसाने के लिए
उनको बेघर करना
यह शोभा नहीं देता
हम तो सभ्य है
फिर जंगली कैसे हो सकते हैं
अपनी वृत्ति को बदलना होगा
जंगल के साथ ही रहना है
जीना है और जीने देना है
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